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डॉक्टर बहनियां की Success Story: इन तीनों बहनों की कहानी आपको भी करेगी रोमांचित, बचपन में जो ठाना था किया पूरा

गया: प्रतिभा किसी का मोहताज नहीं होता. कुछ ऐसा ही चरितार्थ किया है, गया के ग्रामीण कस्बाई क्षेत्र की रहने वाली तीन सगी बहनों ने. इन तीनों बहनों ने बचपन में ही सपना देखा था, कि वे बड़ी होकर डॉक्टर बनेंगी. गया के शेरघाटी प्रखंड के उर्दू बाजार की रहने वाली बुशरा कौसर ने नीट की परीक्षा में कामयाबी हासिल की है. उनकी दो बहनें अनम इमरान और सादिया एमाला पहले से ही मेडिकल की पढ़ाई कर रही है. अब तीनों बहनें डॉक्टर बनने की राह पर चल चुकी है।

मदुरई में मिला दाखिलाः अनम इमरान का दाखिला 2018 में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ होम्योपैथिक कोलकाता में हुआ था. इसके बाद दूसरी बहन की बात की जाए तो वर्ष 2019 में कोलकाता के महेश भट्टाचार्य होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में फाइनल ईयर में पढ़ाई कर रही है. इसके बीच तीसरी सबसे छोटी बहन बुशरा कौसर को भी नीट काउंसलिंग के बाद ऑल इंडिया कोटा गवर्नमेंट के तहत जनरल कैटेगरी से गवर्नमेंट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल मदुरई में दाखिला मिला है।

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तीनों बहनें की दे रहे हैं मिसालःगौरतलब हो, कि बुशरा कौसर को जहां दाखिला मिला है, वह तमिलनाडु का इकलौता गवर्नमेंट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल है. अनम, सादिया और बुशरा यह तीनों बहनें शेरघाटी के उर्दू बाजार के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले इमरान अली की बेटियां है. तीनों सगी बहनों के डॉक्टर बनने की मिसाल लोग दे रहे हैं।

बेटियां हो तो ऐसीः मध्यमवर्गीय परिवार की इन तीनों सगी बहनों ने एक तरह से मिसाल कायम की है. तीनों बहनों ने कड़ी मेहनत की बदौलत अपनी मेरिट से सरकारी कॉलेज तक पहुंचने का जो सफर तय किया है, वह हजारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. इन तीनों सगी बहनों की कामयाबी को लेकर लोगों का कहना है कि बेटियां हो तो ऐसी. जिन्होंने न सिर्फ अपने परिवार का बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है।

बचपन में बुना था सपना: इन तीनों बहनों की कहानी रोमांचित करती है. तीनों बहनों ने बचपन में ही सपना बुना था, कि वह बड़ी होकर डॉक्टर बनेगी. बुशरा डीएवी में पढ़ाई के दौरान अंतर विद्यालय स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में स्टेट टॉपर हुई थी और पटना के साइंस भवन में आयोजित कार्यक्रम में तत्कालीन बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने 10 हजार का चेक और सर्टिफिकेट बुशरा को प्रदान किया था।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को किया साकार: इमरान अली का परिवार उनमें शामिल हो गया है, जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को पूरी तरह से निभा रहे हैं. आज यह तीनों सगी बहनें बेटियों के लिए जागरूकता का एक बड़ा उदाहरण बन चुकी है. अनम, सादिया और बुशरा एक मिसाल कायम कर चुकी है. इन तीनों सगी बहनों की अब मिसाल दी जाने लगी है।


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Sumit ZaaDav

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