हजाम का बेटा बना SDM, इंटरव्यू के लिए कर्जा लेकर सिलवाया था कोट पेंट
BPSC :- अगर आप सोचते हैं कि छोटा काम करने वाले का बेटा बड़ा काम नहीं कर सकता है तो यह आपकी भूल हो सकती है। औरंगाबाद के राहुल ने यह साबित कर दिया है कि सफलता गरीबी अमीरी नहीं देखती है। औरंगाबाद के सदर प्रखंड कर्मा भगवान गांव के रविंद्र ठाकुर सैलून चलाकर बच्चों को ऑफिसर बनाने का सपना देखते थे। कोरोना काल में अपना सैलून भी बंद हो गया, जिसके बाद वह खुद बेरोजगार हो गए।
अब बच्चों को ऑफिसर बनाने का सपना टूटता दिख रहा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दूसरे सैलून पर नौकरी कर सपने को साकार करने की कोशिश की। चौथे प्रयास में बीपीएससी 67वीं परीक्षा को क्रैक करने वाले राहुल बताते हैं कि उन्होंने काफी गरीबी में दिन काटे हैं।
पिता ने कभी खुद के तो कभी दूसरों के सैलून से पैसा कमाकर पढ़ाया है। कई बार असफल हुए तो गांव वालों के तानों से परिवार के साथ दिल्ली जाकर कमाने तक का प्लान किया। लेकिन बहन ने ट्यूशन पढ़ाया और राहुल को तैयारी का मौका दिया। पूरा परिवार और दोस्त हौसला बढ़ाते रहे।
गरीबी में भी पिता ने पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। पैसों की तंगी के चलते बीपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग जाने की भी नहीं सोच सकता था। मैंने यूट्यूब पर वीडियो देखकर बीपीएससी की तैयारी की।
राहुल बताते हैं कि इंटरव्यू की डेट एक बड़ी चुनौती लेकर आई। इंटरव्यू में पहनकर जाने के लिए उनके पास कोट ही नहीं था, पैसा भी नहीं थे कि वह नया कोट बनवा सकें। ऐसे में उन्होंने गांव के ही मधुसूदन ठाकुर से कर्ज लिया और फिर अपने लिए कोट पैंट सिलवाया।
राहुल बताते हैं कि किसी के मां-बाप कितना भी छोटा काम क्यों न करते हों, खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। हर समय ऐसा सपना देखना चाहिए और उसे पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए, जिससे घर परिवार वालों का त्याग सफल हो जाए।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.