हिंदू धर्म में शास्त्र की मान्यता है बहुत ही अधिक है और शास्त्रों में चौराहे का खास महत्व बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चौराहे को दिव्य ऊर्जा का स्रोत माना गया है। साथ ही नकारात्मक ऊर्जाओं का केंद्र भी कहा जाता है। शास्त्रों में एक ओर चौराहे की पूजा का उल्लेख मिलता है, तो दूसरी ओर चौराहे पर किसी तरह के उपाय किये जाने का भी वर्णन किया गया है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि आखिर चौराहे पर ही क्यों टोने-टोटके किया जाता है। आखिर इसके पीछे का कारण क्या है। आइए विस्तार से जानते हैं।

चौराहे पर होता है दोनों ऊर्जाओं का स्त्रोत

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चौराहे पर सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाओं का स्त्रोत उत्पन्न होता है, क्योंकि यह चार दिशाओं को एक साथ जोड़ता है। इसी कारण वश सात्विक और तांत्रिक दोनों लोग ही पूजा के लिए चौराहे को बहुत ही लाभकारी मानते हैं। ऐसे तो आज के समय में चौराहे वाली बात को लेकर अंधविश्वास समझा जाता है, लेकिन पहले के बड़े-बुजुर्ग लोग इस बात को बड़े ही गंभीरता को लेकर अभी भी मानते हैं। तो ऐसे वे लोग चौराहे पर बड़े ही संभल कर चलने की सलाह देते हैं।

इस बात को लेकर शास्त्रों में जानकारी दी गई है चौराहे को चौगान माता का स्थान माना गया है। यानी कहे तो चौगान माता चौराहे की देवी को कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब पहले घर में विपदा आती थी, तो उसे दूर करने के लिए चौराहे की पूजा की जाती है। यानी चौराहे माता का आशीर्वाद लिया जाता था। साथ ही चौगान माता से निर्विघ्न कार्य संपन्न होने की प्रार्थना भी करते हैं। वास्तु शास्त्र में ही चारों दिशा का भी ज्यादा महत्व होता है।

मान्यताओं के अनुसार, जिस प्रकार हर एक दिशा के देवता और स्वामी ग्रह होते हैं ठीक उसी प्रकार हर दिशी की एक देवी होती हैं। मान्यता है कि कड़ी में चौगान माता को चौराहे की देवी कहा जाता है। क्योंकि पहले के समय में चौराहे पर सात्विक पूजा की जाती थी। ऐसे में चौराहे पर संभलकर चलने की सलाह दी जाती थी ताकि पूजा की सामग्री पैर से न लगें। ऐसा करने से जातक को पाप लग सकता है।


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