BhaktiDharm

आज है दिवाली, ऐसे रखें मां लक्ष्मी की मूर्ति, गणेश की प्रतिमा रखते समय इस बात का जरूर रखें ध्यान

दिवाली पर मां लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति रखते समय न करें ये गलतियां, वरना दरिद्रता नहीं छोड़ेंगी साथ : सनातन धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है। 14 साल के वनवास के बाद भगवान श्री राम के अयोध्या वापस आने की खुशी में घी के दीपक जलाए गए थे। इसी के कारण हर साल दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद देती है। हर साल दिवाली के दिन प्रदोष काल के समय गणेश-लक्ष्मी जी की नई मूर्ति स्थापित करके विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। इसके साथ ही अपने आसपास के अंधकार को मिटाने के लिए दीपक जलाए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति चौकी में स्थापित करते समय उनकी दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सही दिशा में मूर्ति न होने से अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं गणेश-लक्ष्मी जी की मूर्ति रखने की सही दिशा के साथ अन्य नियमों के बारे में…

दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें पूत्रव दिशा में इस तरह रखें कि उनका मुख पश्चिम दिशा की ओर हो। बता दें कि दिशा को देवी-देवता की दिशा मानी जाती है। ऐसे में इस दिशा में मूर्ति रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

माता लक्ष्मी की मूर्ति सही दिशा में रखने के साथ इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि वह गणेश जी के बगल में किस ओर रखें। अधिकतर लोग भगवान गणेश के बाएं ओर लक्ष्मी जी की मूर्ति रख देते हैं, जो बिल्कुल गलत है। दरअसल, बाएं ओर पत्नी का स्थान होता है। इसी के कारण उन्हें वामांगी कहा जाता है। लेकिन मां लक्ष्मी भगवान गणेश के लिए मां के समान है। इसलिए उन्हें हमेशा गणेश जी के दाएं ओर स्थापित करना चाहिए।

गणेश जी की मूर्ति लाते सय इस बात का ध्यान रखें कि उनकी सूड़ हमेशा बाएं ओर होनी चाहिए, क्योंकि दाएं ओर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित की जाती है। मान्यता है कि अगर गणेश जी की मूर्ति में सूंड़ जाएं ओर है, तो वह धन हानि का कारण बन सकता है।

दिवाली के दिन भगवान गणेश के साथ माता लक्ष्मी की मूर्ति तो स्थापित कर देते हैं। लेकिन कलश स्थापना नहीं करते हैं। बता दें कि कलश को वरुण देव का रूप माना जाता है। इस दिन किए गए कलश को अमृत कलश के समान माना गया है। इसलिए इस दिन कलश स्थापना जरूर करनी चाहिए।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Sumit ZaaDav

Hi, myself Sumit ZaaDav from vob. I love updating Web news, creating news reels and video. I have four years experience of digital media.

Submit your Opinion

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला आयोजित बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी