सूर्योपासना प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है। महाभारत के समय अंग क्षेत्र में भगवान भास्कर के पुत्र कहे जाने वाले दानवीर राजा कर्ण अपने पिता सूर्य की प्रतिदिन उपासना करने के बाद जल अर्पण कर दान पुण्य करते थे। इसी अंग की धरती पर बूढ़ानाथ जोगसर के सखीचंद घाट पर पीपल पेड़ के नीचे 100 सालों से अधिक पुराना सूर्य देव नारायण मंदिर है, जो वर्तमान में अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक करीब 30 साल पूर्व तक लोग छठ पर्व के समय में पूजा के बाद सूर्य देव नारायण मंदिर की परिक्रमा करते थे, लेकिन अब यह खत्म हो गया। सूर्य देव नारायण मंदिर में भगवान सूर्य की सफेद संगमरमर से बनी प्रतिमा स्थापित है। इतिहासकारों और स्थानीय लोगों की मानें तो सौ साल पहले इसकी स्थापना अग्रवाल समाज के द्वारा की गई थी, लेकिन अग्रवाल समाज के किन लोगों ने इसकी स्थापना की थी और कब की थी इसकी वास्तविकता का प्रमाण नहीं मिला है।

अपने खर्च से मंदिर का कराई मरम्मत, बारिश में टपकता था मंदिर

सखीचंद घाट स्थित सूर्य देव नारायण मंदिर को लेकर 35 साल से मंदिर की देखरेख कर रहे विनोद यादव बताते हैं कि पहले मंदिर के चारों ओर बगल के स्थान खाली थे। 2021 में मंदिर में टाइल्स लगवाएं हैं, ताकि मंदिर की स्थिति में सुधार हो। उन्होंने बताया स्थिति ऐसी है कि ज्यादा बारिश के बाद मंदिर के अंदर पानी टपकता है। उन्होंने बताया कि पूरे शहर में सिर्फ इकलौता यह सूर्य देव मंदिर है, लेकिन लोगों में जानकारी के अभाव के कारण यह उपेक्षित पड़ा है। अगर इसका पुनर्निर्माण हो तो अच्छा रहेगा।

क्या कहते हैं इतिहास के जानकार?

अंग क्षेत्र में सबसे पुरातन सूर्य देव नारायण मंदिर जोगसर में सखीचंद घाट पर अवस्थित है। यह 100 साल से भी अधिक पुराना है। यहां सफेद संगमरमर की मूर्ति स्थापित है, लेकिन वर्तमान समय में लोगों की पहुंच तक यह नहीं है। इस मंदिर में प्राचीन समय में श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान कर यहां पर उगते और डूबते सूर्य को जल एवं दूध से अर्घ्य दिया करते थे और सूर्य उपासना करते थे, लेकिन सरकार और जिला प्रशासन की उपेक्षा के कारण भागलपुर क्षेत्र में कई धरोहर अपना अस्तित्व खो रहे हैं। जिला प्रशासन को चाहिए कि इसे पुनर्निर्माण कर आमलोगों तक प्रचार-प्रसार करें। – डॉ. रविशंकर चौधरी एसोसिएट प्रोफेसर, टीएनबी कालेज


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