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बिहार के इस जिले में हुआ था सहारा के मुखिया सुब्रत राय का जन्म, ₹2000 से बनाया 2.6 लाख करोड़ की कंपनी; पढ़े सफलता की कहानी

शहर के मालिक अर्थात सहारा श्री सुब्रत राय नहीं रहे. 75 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वे कई महीनो से बीमार थे. उन्होंने मुंबई में अपनी आखिरी सांस ली. सहारा श्री के निधन की खबर सुनते ही भारत सहित देश दुनिया के उद्योग जगत में मानव सुख की लहर पसर गया. कई जाने-माने नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. जानकारों की माने तो सहारा श्री के मालिक सुब्रत राय का करियर चुनौती भरा रहा. बिहार की एक गरीब परिवार में उनका जन्म हुआ था और ₹2000 से उन्होंने शहर नामक कंपनी का शुभारंभ किया था. बाद में यह कंपनी 2.6 लाख करोड़ की हो गई. तो आईए जानते हैं क्या है सहारा श्री की कहानी…

10 जून, 1948 को अररिया, बिहार में जन्मे सुब्रत रॉय ने किसी चमत्कार की तरह रातों-रात भारतीय फाइनेंस जगत में अपनी पहचान बनाई थी. उन्होंने कुछ ही वर्षों की सफलता के बाद एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की, जो फाइनेंस, रियल एस्टेट, मीडिया और हॉस्पिटैलिटी सहित विभिन्न क्षेत्रों तक फैला हुआ था. सन् 1978 में राय ने सिर्फ दो हजार रुपये से अपना काम शुरु किया था और बाद में कुल शुद्ध संपति 2,59,900 करोड़ तक पहुँच गई.

सहाराश्री’ कहलाने वाले देश के सबसे चर्चित कारोबारी और उद्योगपति सुब्रत रॉय सहारा इंडिया परिवार के मैनेजिंग वर्कर और चेयरमैन थे. सुब्रत रॉय ने वर्ष 1978 में सहारा की स्थापना की, और 2004 तक, उन्होंने अपनी कंपनी को देश के सबसे सफल समूहों में से एक बना दिया था. यहां तक कहा जाने लगा था कि भारतीय रेलवे के बाद सहारा ‘भारत में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता’ है. वे संभवतः भारत के कॉर्पोरेट जगत के इतिहास की सबसे अनूठी शख्सियतों में से एक थे.

पत्रकार बृजेश मिश्रा कहते हैं कि सुब्रत रॉय सहारा एक करिश्माई व्यक्ति थे। वो भारत के उद्योग जगत के पहले सुपर स्टार थे। एक दौर था। उनकी शोहरत का सूरज कभी अस्त नही होता था। बड़े बड़े नेता लाइन लगाकर खड़े रहते थे। बॉलीवुड के सुपर स्टार उनके घर चाय वितरण करते थे।

उद्योग जगत नतमस्तक था सुब्रत रॉय के सामने। पत्रकार उन्हें सहारा प्रणाम करके गौरवान्वित महसूस करते थे। रॉय ने जिस पर भी हाथ रख दिया वो दौलत, शोहरत और ताकत की बुलंदी पर होता था। चिट फंड से लेकर एयरलाइंस तक सब धंधा किया। उनके बेटों की शादी हुई थी लखनऊ से। भारत के प्रधानमंत्री, दर्जन भर से अधिक केंद्रीय मंत्री, कितने मुख्यमंत्री, राज्यपाल और पूरा उद्योग जगत रॉय के बुलावे पर आया था।

क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी मेहमानो को खाना परोसते थे। वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के सभी सदस्यों को अम्बे वैली को घर गिफ्ट में दिए। बड़े क्रिकेटर उनके बच्चों की शादी हो या घरेलू आयोजन बिना सहारा श्री के पूरा नहीं होता था। सुपर स्टार महोदय तो खाना परोसते थे। बेहिसाब दौलत और बेशुमार ताकत। तब सिर्फ नाम ही काफी था। सुब्रत रॉय।

लेकिन एक राजनीतिक भूल ने सुब्रत रॉय के एंपायर को लगभग धूल में मिला दिया। उनके आलोचक भी बहुत हैं जो आज भी इलजाम लगाते हैं। लेकिन वक्त बदला तो जो ताकतवर लोग रॉय के घर झाड़ू पोछा करके भी गौरव की अनुभूति करते थे उन्होंने भी पीठ दिखा दी। सुब्रत रॉय का साथ उन सबने छोड़ दिया जिन पर उन्हें बहुत भरोसा था। वो घिरते गए। जेल गए। साम्राज्य सिकुड़ता गया। कैसे तैसे जेल से निकले। कभी शान ओ शौकत का एंपायर उनके ही सामने खंडहर हो गया। किसी ने उनका साथ नहीं दिया। आज भी सेबी के पास सहारा का 25 हजार करोड़ है। लेकिन सहारा ग्रुप का पतन हो गया। वो जितने बड़े शो मैन थे आज उतनी ही खामोशी से चले गए। सर, इसीलिए कहता हूं समय से न लड़ो। आजतक कोई जीत नही पाया। जीत भी नही सकता।


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Kumar Aditya

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