मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड मध्य प्रदेश में पूरी तरह से फ्लॉपरही है. 5 राज्यों के हुए चुनाव में बिहार की सत्ताधारी दल जेडीयू ने मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ा था. पार्टी की तरफ से 10 उम्मीदवारों की घोषणा की गई थी लेकिन 10 में से एक उम्मीदवार ने चुनाव नहीं लड़ा. यानी कि 9 उम्मीदवार ने ही चुनाव लड़ा और जेडीयू के किसी उम्मीदवार की जमानत नहीं बची. जेडीयू के सभी उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिला है।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन खराब:जेडीयू की तरफ से पहली सूची में पांच उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई थी और दूसरी सूची में भी पांच उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई लेकिन नरियावाली से सीताराम अहिरवार ने अपना नाम वापस ले लिया और जो नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में बच गए, उनमें से किसी की जमानत नहीं बची।

मध्य प्रदेश में जेडीयू उम्मीदवारों की जमानत जब्त: पिछोर में चंद्रपाल यादव को 132 वोट मिले हैं, जबकि यहां 2176 वोट नोटा पर पड़े हैं. राजनगर से रामकुंवर रायकावर ने चुनाव लड़ा और 472 वोट मिले. यहां नोटा पर 762 वोट पड़े. विजय राघवगढ़ से शिवरीनारायण सोनी ने चुनाव लड़ा. उन्हें 177 वोट मिले और यहां 3398 वोट नोटा पर पड़े. थांदला से तोल सिंह भूरिया ने चुनाव लड़ा और इन्हें 3103 वोट मिले और यहां 3108 वोट नोटा पर पड़े. पटेलवद से रामेश्वर सिंह ने चुनाव लड़ा और इन्हें 1001 वोट मिले, जबकि यहां नोटा पर 3562 वोट पड़े।

जेडीयू उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले:इसके अलावे गोटेगांव से प्रमोद कुमार मेहरा ने चुनाव लड़ा. यहां इन्हें 242 वोट पड़े, जबकि 2890 वोट नोटा पर पड़े. बहोरीबंद से पंकज मौर्या ने चुनाव लड़ा और इन्हें केवल 141 वोट मिले, जबकि यहां नोटा पर 465 वोट पड़े. जबलपुर उत्तर से संजय जैन ने चुनाव लड़ा. यहां इन्हें 380 वोट मिले लेकिन 1418 वोट नोटा पर पड़े. बालाघाट से विजय कुमार पटेल ने चुनाव लड़ा और इन्हें 110 वोट मिले, जबकि नोटा को 534 मत मिले. यानी जेडीयू के उम्मीदवारों से अधिक लोगों ने नोटा का बटन दबाया।


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