Madhya PradeshNational

मध्य प्रदेश में आलू की फसल खराब होने की कगार पर; किसान के माथे पर छाई चिंता की लकीर

मध्य प्रदेश में एक पखवाड़े से मौसम खराब चल रहा है. बारिश, ठंड, और धुंध से आलू-लहसुन में नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. किसानों का कहना है कि फसल बचाने के लिए कीटनाशक और खरपतवार नाशक दवाइयों का छिड़काव ज्यादा करना पड़ेगा. डकाच्या के किसान शैलेंद्र पटेल (शेलू) ने बताया कि उन्होंने दस बीघा के आलू लगाए हैं और लगातार मौसम खराब होने से कपाड़िया बीमारी लगने का खतरा है.

इससे पत्ते सूखने लगते हैं और पौधे छोटे रह जाते हैं, जिससे तनों में कमजोरी आती है और आलू कम लगते हैं, साथ ही छोटे रह जाते हैं. गिरीश पटेल ने कहा कि जितना ज्यादा मौसम खराब रहेगा, उतना आलू-लहसुन में नुकसान होगा.

पंद्रह दिन से धूप नहीं खिली है और बार-बार बारिश के साथ धुंध गिरने से खेतों में नमी बनी है. फसल बचाने के लिए खरपतवार नाशक और कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव ज्यादा करना पड़ेगा. दवाइयां भी काफी महंगी हैं और मजदूरी भी ज्यादा लगती है.

खराब मौसम से आलू- लहसुन पर मार
सगवाल के किसान जीवन सिंह पंवार ने कहा कि गेहूं पर भी खराब मौसम का असर पड़ रहा है. पत्ते पीले पड़ रहे हैं, तो जड़ें कमजोर हो रही हैं. गेहूं पर हुए नुकसान का अभी तो पता नहीं चलता, लेकिन उत्पादन कम होता है, यह गेहूं निकालते समय पता पड़ता है. लगातार धुंध और बारिश से खेत गीले बने हैं. यूरिया खाद मिल नहीं रही और कई जगहों पर अभी पहली और दूसरी सिंचाई चल रही है, जिसमें यूरिया की जरूरत पड़ती है. ऐसे में समय निकलता जा रहा है और सिंचाई हो नहीं रही.

इक्का-दुक्का किसान ही डालर चना लगाते हैं
मेलकलमा के किसान बंटी पाराशर ने बताया कि दस बीघा में डालर चना लगाया है, जो पीला पड़ने के साथ सूख रहा है. पंद्रह हजार चार सौ रुपए क्विंटल में बीज लिया था. पांच क्विंटल बीज पचहत्तर हजार का आया था. हंकाई, जुताई के साथ दवाइयों का खर्च अलग है. एक लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो चुका है, लेकिन जिस तरह से मौसम खराब है, लगता नहीं कि फसल बच पाएगी.

मालवा के किसान ने डालर चने से मुंह मोड़ लिया और इक्का-दुक्का किसान ही डालर चना लगाते हैं. देशी और कांटे वाला चना भी अब किसान लगाने में रुचि नहीं लेते. खाद का संकट बना हुआ है और फसल बीमा के नाम पर किसानों से सिर्फ खिलवाड़ होता है, बीमा राशि काट ली जाती है, मुआवजा दिया नहीं जाता.

गेहूं के लिए ठीक है मौसम 
इधर कुड़ाना सांवेर के किसान बलराम पटेल ने कहा कि आलू में ब्लाइड और अरली ब्लाइड (हिंदी में कपाड़िया बोलते हैं) नामक बीमारी लग रही है. आलू के पत्तों पर चक्कर आ रहे हैं. धीरे-धीरे पौधा सूखने लगता है और जड़ें कमजोर कर देता है. आलू कम लगते हैं और छोटे हो जाते हैं. इंदौर के कृषि अधिकारी (डीडीए) शिव सिंह राजपूत ने कहा कि वैसे तो मौसम ज्यादा खराब नहीं है और गेहूं के लिए ठीक है.


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Rajkumar Raju

5 years of news editing experience in VOB.

Submit your Opinion

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला आयोजित बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी