नीतीश-तेजस्वी को हराने के लिए मोहन यादव को बनाया नया CM, यूपी-बिहार में BJP का नया प्लान तैयार
बहुत पहले किसी हिंदी फिल्म का एक डॉयलॉग काफी फेमस हुआ था। तुम जहां से सोचना बंद कर देतो हो हमारी सोच वहां से स्टार्ट होती है। वर्तमान समय में बीजीपी आलाकमान अर्थात पीएम मोदी और अमित शाह जिस तरह से लोक सभा चुनाव 2024 को लेकर सोच रहे हैं वह अपने आप में काबिलेतारीफ था। किसी को कानों कान पता नहीं चला कि मध्यप्रदेश में बीजेपी वाले किसे अपना सीएम बनाने जा रहे है। सारे मीडिया चैनल या बड़े बड़े पत्रकार शिवराज सिंह चौहान सहित कुछ बड़े नेताओं का नाम ले रहे थे। लेकिन डॉ मोहन यादव के रूप में बीजेपी ने चौकाने वाला नया नाम सबके सामने रखा। बीजेपी आलाकमान भले मध्यप्रदेश के लिए सीएम उम्मीदवार का नाम तय कर रहे थे लेकिन उनके मन में बिहार और यूपी का डर सता रहा था। संभवत: यही कारण है की उन्होंने यादव उम्मीदवार को अपना पसंद बनाया।
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दो दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह पटना आए थे। यहां एक बैठक का आयोजन किया गया था जिसमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सहित अन्य नेता गण शामिल हुए। बैठक के दौरान जब पत्रकारों ने अमित शाह से जातिय जनगणना के बारे में सवाल किया तो अमित शाह ने बिना लाग लपेट के कहा कि हम और हमारी पार्टी जातिय जनगणना का समर्थन करती है। बिहार विधान सभा में जब कास्ट सेनसस को लेकर प्रस्ताव लाया गया था तो हम सत्ता में थे। पीएम मोदी से जो प्रतिनिधिमंडल दिल्ली मिलने गया था उसमे बिहार बीजेपी के नेता भी शामिल थे। हालांकि अमित शाह ने इस बात को जरूर दोहराया कि कुछ जाति की जनसंख्या को बढ़ा चढ़ाकर देखा जा रहा है। हालांकि उन्होंने किसी जाति विशेष का नाम नहीं लिया। लेकिन जानने वाले जानते हैं कि अमित शाह यादव और मुसलमानों के बारे में बोल रहे थे। क्योंकि बिहार जाति जनगणना 2023 के बिहार में सबसे बड़ी आबादी मुसलमानों की है जो लगभग 19 परसेंट है। इसके बाद यादवों की जनसंख्या सबसे अधिक है जो लगभग 14 परसेंट हैं।
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बिहार में जब से जातिगणना का डेटा जारी हुआ था तब से यादव समाज के लोग एग्रेसिव नजर आ रहे थे। एक वर्ग तो इतना तक कह रहा था कि बिहार में सिर्फ यादव और मुस्लिम एक हो जाए तो बिहार के लोक सभा चुनाव और विधान सभा चुनाव से बीजेपी का पत्ता साफ हो जाएगा।
दिल्ली में बैठे बैठे बीजेपी का आलाकमान बिहार में मंडल पार्ट 2 पर अपनी पैनी नजर बनाए बैठा थे। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर किया क्या जाए। अंत में मोदी अमित शाह की जोड़ी ने यादव समाज के लोगों को संदेशा भेजने का फैसला किया कि हम आपके हैं। हमसे बड़ा यादवों का शुभचिंतक कोई नहीं है। यहीं कारण हैं कि पहले पटना में बीजेपी के बड़े बड़े यादव नेताओं को आगे लाकर मोर्चा संभाला गया और यादव सम्मेलन करवाया गया।
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इन सबके बाद भी बीजेपी आलाकमान के पास जो फीडबैक पहुंचा वह निराशजनक था। अंत में निर्णय लिया गया कि अगर यादव वोटबैंक को साधना है तो किसी यादव को बड़ा पद दिया जाए। मोहन यादव की किस्मत ने उनका साथ दिया और वह मध्यप्रदेश के नए सीएम बन गए। जबकि बीजेपी आलाकमान भलिभांति जानता था कि उनके नाम सामने आने के बाद उनके उस विवादित बयान का भी जिक्र होगा जो उन्होंने माता सीता को लेकर दिया था। लेकिन बिहार में नीतीश और तेजस्वी के जादू को खत्म करने के लिए और यूपी में अखिलेश यादव को जीरो पर आउट करने के लिए मोहन यादव को सीएम बनाना जरूरी नहीं मजबूरी था।
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