बिहार:छठे राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर पंचायतों को मिलेंगे 6.5 हजार करोड़
पंचायत के विकास का समर्थन करना ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। पंचायती राज सिस्टम के माध्यम से स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों की योजना बनाना और कार्रवाई करना आवश्यक है। सामुदायिक संगठन, शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगिकी, और अन्य क्षेत्रों में परियोजनाएं शुरू करके पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता है।
बिहार की ग्राम पंचायतों को छठे राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर वर्ष 2023-24 में साढ़े छह हजार करोड़ मिलेंगे। इस पैसे से पंचायती राज संस्थाओं के तहत ग्राम पंचायत में सोलर स्ट्रीट लाइट, खेल के मैदान, उद्यानों में खुला जिम की व्यवस्था, आंगनबाड़ी केंद्रों में सुविधाओं का विकास, शवदाह गृह, बस व आटो स्टैंड, यात्री शेड, सामुदायिक भवन का निर्माण होगा।
वहीं, टाइड ग्रांट के तहत स्वच्छता के प्रति ठोस व तरल अवशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता के लिए गलियों का पक्कीकरण व नाली निर्माण, पेय जलापूर्ति, वर्षा जल संचय के तहत मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल योजना का अनुरक्षण व रखरखाव और सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार सहित छठ घाट का निर्माण आदि कार्य किए जाएंगे। वहीं, पंचायत सरकार भवन के लिए भी राशि सुरक्षित रखी जायेगी।
राशि का भुगतान का अंतिम वर्ष 2024-25 होगा वित्त विभाग के सूत्रों ने बताया कि छठे वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्य की त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को 29876 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस राशि का भुगतान वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2024-25 के बीच किया जाना है। इस आधार पर 2023-24 में 6500 करोड़ की राशि दी जायेगी। जबकि अगले वर्ष 2024-25 में आठ हजार करोड़ दिए जाएंगे। इन सभी पैसों का उपयोग जनोपयोगी कार्यों में किया जाएगा।
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