देश में जमीन म्यूटेशन की यानी दाखिल खारिज एक बड़ी समस्या है। इसे दूर करने के लिए राजस्थान सरकार के द्वारा ऑटो म्युटेशन का नया नियम लागू किया गया है। आपको बता दें कि राजस्व विभाग ने म्यूटेशन को लेकर बताया है कि भू राजस्व नियम 1957 के नियम 169 एल में यह व्यवस्था की गई है। इसके लिए राजस्व विभाग में सभी जिला अधिकारियों को आदेश जारी किया है।

और यह भी बताया गया है कि इसको सख्ती से पालन करवाया जाए। इस आदेश के बाद खातेदारों को तहसीलदारों और पटवारी के यहां बार-बार नहीं जाना पड़ेगा। राजस्व विभाग के उप सचिव एमडी रतनू ने ऑटो म्यूटेशन को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है।

इसका लाभ किसानों को और आम जनता को मिलेगा। अब तहसीलदार और सरपंच बेवजह म्यूटेशन नहीं रोक पाएंगे। नई व्यवस्था में पंजीयन और मुद्रक डिपार्टमेंट के द्वारा सबरजिस्ट्रार ऑफिस में लैंड के बेचने साथ ही रजिस्ट्री होने के समय ही ई-धरती पोर्टल से दाखिल खारिज का डॉक्यूमेंट बन जाएगा।

यह दाखिल खारिज ऑनलाइन रेवेन्यू बोर्ड की रजिस्ट्रार और डिप्टी रजिस्ट्रार के सर्वर सर्टिफिकेशन के द्वारा ऑटोमेटिक अप्रूव हो जाएगा। पटवारी को अब जांच करने के लिए 5 दिन का समय दिया जाएगा। इसके बाद इसे तहसीलदार और सरपंच को फॉरवर्ड किया जाएगा।

अगर पटवारी 5 दिन के अंदर इसे ऑनलाइन फॉरवर्ड नहीं करेगा। तो ऑटोमेटिक तहसीलदार को फारवर्ड हो जाएगा। फिर तहसीलदार को 7 दिन का समय दिया जाएगा। जबकि सरपंच को 20 दिन का समय दिया जाएगा। अगर इसके अंदर सरपंच या तहसीलदार इसे फॉरवर्ड नहीं करेंगे। तो यह ऑटोमेटिक फॉरवर्ड हो जाएगा। नई व्यवस्था से तहसीलदार और सरपंच बिना किसी कारण के म्यूटेशन को नहीं रोक सकते हैं।


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