आंतरिक और बाहरी खतरों से बचाने के लिए बनना चाहिए मजबूत तंत्र
इक्कीसवीं सदी में लड़ाई के तौर-तरीके बदल गए हैं। अब ये पारंपरिक युद्ध क्षेत्रों से कहीं आगे निकल गए हैं। दो देशों के बीच लड़ाई में जो सर्वनाश हथियारों और गोला-बारूद से हुआ करता है, कुछ वैसा ही विनाश अब टेक्नोलाजी, साइबर वार और जासूसी के जरिये किया जाने लगा है।
अब इनके सहारे किसी राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने का लक्ष्य उस राष्ट्र में शारीरिक रूप से पहुंचे बिना हासिल किया जाने लगा है। यह सब अत्याधुनिक साइबर हमलों के कारण संभव हो रहा है। इसके लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करना, अफवाहें फैलाना या सार्वजनिक सूचनाओं में हेरफेर करके देश के भीतर अनिश्चितता पैदा करने जैसे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं
। फेक न्यूज और नियंत्रित मीडिया का उपयोग अब न केवल साइबर युद्ध में किया जाता है, बल्कि यह राजनीति और उद्योग जगत में भी अपनाया जाने लगा है।
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