क्य आप जानते हैं कि अंग्रेजों के जमाने के जेलर वाले रोल का जन्म कैसे हुआ? क्यों इस रोल को आज भी याद किया जाता है? असरानी और इस रोल से जुड़ी दिलचस्प बातें यहां मिलेंगी।

1 जनवरी का दिन दो मामलों में खास है. पहला क्योंकि इस दिन नए साल की शुरुआत होती है और दूसरा क्योंकि इसी दिन बॉलीवुड के कमाल के एक्टर और कॉमेडी में अपनी छाप छोड़ने वाले गोवर्धन असरानी का बर्थडे भी है. साल 1941 में जन्में 83 साल के असरानी ने वैसे तो बॉलीवुड में 350 से भी ज्यादा फिल्में की हैं. लेकिन ‘शोले’ में निभाए गए उनके ‘अंग्रेजों के जमाने के जेलर’ वाले किरदार के लिए आज भी याद किया जाता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘अंग्रेजों के जमाने के जेलर’ वाला किरदार कैसे कालजयी बन गया? ये रोल क्यों अहम बन जाता है? चलिए जानते हैं.

क्या है जेलर का किरदार के पैदा होने की कहानी?
असल में किरदार कहानी का हिस्सा था. इसे लिखा जा चुका था. लेकिन इसे ऐतिहासिक किरदारों में शामिल करने की वजह भी इतिहास ही है. शोले देखते समय आपको जेलर की सबसे खास बात उनका हुलिया और उनके बोलने का अंदाज लगा होगा. अब ये हुलिया और अंदाज असल में असरानी ने जर्मनी के तानाशाह हिटलर से प्रभावित होकर अपनाया था.

क्यों जेलर की हरकतें थीं हिटलर की तरह?
असरानी ने बताया था कि जब उन्हें इस रोल के लिए साइन किया गया तो फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी और स्क्रिप्ट राइटर सलीम-जावेद ने उन्हें दूसरे विश्वयुद्ध से जुड़ी एक किताब दी. इस किताब में हिटलर की 15 से 20 तस्वीरें भी थीं. असरानी को बिल्कुल हिटलर जैसा लुक बनाने के लिए कहा गया.

असरानी के मुताबिक, दुनियाभर के एक्टिंग स्कूलों में हिटलर की रिकॉर्डेड आवाज का इस्तेमाल छात्रों के ट्रेनिंग देने के काम में इस्तेमाल की जाती है. इस आवाज में हिटलर जिस अंदाज में खुद को ‘आर्यन’ बताता है. उसी अंदाज में असरानी ने ‘हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं’ बोला था.

असरानी ने बताया था कि हिटलर की आवाज इतनी प्रभावशाली थी कि वो जर्मन सेना को प्रभावित कर देता था. बिल्कुल वहीं अंदाज उन्होंने अपनाया और डायलॉग बोलने के बाद ‘हाहा’ भी उसी अंदाज में बोला जैसे हिटलर बोला करता था. और इस तरह असरानी ने बिल्कुल वैसे ही दर्शकों को हिप्नोटाइज कर दिया जैसे हिटलर अपनी सेना को कर देता था.


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