TOP NEWS

नदी में ही क्यों फेंके जाते हैं सिक्के, आस्था नहीं इसके पीछे है साइंस

Google news

नदियों में सिक्के डालने के पीछे आस्था के साथ-साथ विज्ञान भी जुड़ा है।इसको जानकर आप भी रह जाएंगे दंग।

देश और दुनिया में आपने कई जगह यह देखा होगा कि लोग अपनी कोई विश पूरी करने के लिए नदियों में सिक्के डालते हैं. भारत में तो जब हम किसी नदी के नजदीक से गुजरते हैं सम्मान के तौर पर भी उसमें सिक्का डालते हैं. वैसे तो भारत में नदी के अंदर सिक्का डालना आस्था का विषय माना जाता है. तरकीबन देश के हर इलाके में लोग इस तरह का काम करते हैं.  लेकिन आप लोग ये बात नहीं जानते होंगे कि नदी में सिक्का डालने के पीछे सिर्फ आस्था नहीं बल्कि साइंस भी है. जी हां नदियों में कॉइन डालने के पीछे विज्ञान का भी बड़ा हाथ है. आइए जानते हैं कि आखिर नदियों में सिक्के डालने के लिए साइंस का राज है।

नदी में कॉइन डालने के पीछे साइंटिफिक कारण: 
एक प्राचीन प्रथा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण है. जब हम नदी में कॉइन डालते हैं, तो यह हमारे लिए एक आदर्शित प्रथा होती है, लेकिन इसके पीछे एक साइंटिफिक कारण भी हो सकता है. इसको ऐसे समझते हैं।

1. इस्पाती धातु:
कारण: कॉइन्स में जो धातु होती है, विशेषकर इस्पाती उसे नदी में डालने पर इसमें ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और जल से रब्बा फॉर्म हो सकता है. इससे इस्पाती धातु की अच्छी स्थिति बनी रहती है और सिक्के के साथ-साथ नदी की उम्र भी बढ़ती है।

2. पीतल की धातु:
कारण: पीतल की धातु जल से खराब नहीं होती है, इसलिए नदी में कॉइन डालने पर यह धातु लंबे समय तक अपनी शुद्धि बनाए रख सकती है. इससे कॉइन का स्वरूप बना रहता है।

3. आयरन की स्थिति:
कारण: आयरन से बने कॉइन्स को नदी का पानी मिलने से इसमें कॉरोजन कम होता है और उसकी शुद्धि बरकरार रहती है.  यह भी कॉइन को अधिक समय तक सुरक्षित रखने में मदद करता है।

4. बैक्टीरिया का प्रभाव:
कारण: नदी का पानी में मौजूद बैक्टीरिया भी कॉइन को साफ रखने में मदद कर सकते हैं.  यह बैक्टीरिया को समृद्धि करने में सक्षम होता है, जिससे वे कॉइन को अच्छी तरह से सफाई रखते हैं.

5. स्वास्थ्य का लाभ:
कारण: किसी कॉइन को नदी में डालने से वह उस जल से गुजरता है जिसमें नदी के आसपास की प्राकृतिक धातुओं के सुगंध होती हैं, जिससे इसे रखने वाला व्यक्ति को स्वास्थ्य का लाभ हो सकता है.
इस प्रकार नदी में कॉइन डालने के पीछे वैज्ञानिक तरीके हैं जो इस प्राचीन प्रथा को एक साइंटिफिक दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करते हैं।

ये भी है कारण
नदी में सिक्के डालने को लेकर साइंस बिहाइंड इंडियन कल्चर वेबसाइट की एक खास रिपोर्ट भी है. इसके मुताबिक, पुराने वक्त में सिक्के तांबे के हुआ करते थे. इंसानी शरीर के लिए कॉपर काफी काम का मेटल होता है. डॉक्टर भी लोगों को कॉपर की बोतलों में पानी पीने की सलाह देते हैं. ये शरीर के डाइजेशन पॉवर को तो अच्छा रखता ही है साथ ही खून को भी साफ करने में मददगार होता है।

पहले के वक्त में ज्यादातर लोग नदियों का पानी खाने-पीने के लिए इस्तेमाल करते थे. ऐसे में ये लोग पानी में तांबे का सिक्का या धातु से जुड़ी चीजें डालते थे. ताकि इसके पानी में तांबे का तत्व आ जाएं और नदियों में कॉपर की मात्रा बढ़ने के बाद उसको इस्तेमाल किया जा सके।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी स्पैम कॉल : दूरसंचार कंपनियों ने 50 संस्थाओं को बैन किया, 2.75 लाख कनेक्शन काटे भागलपुर : युवक का अवैध हथियार लहराते फोटो वायरल भागलपुर में पार्षद नंदिकेश ने तुड़वाया वर्षों से बंद पड़े शौचालय का ताला ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से स्कूल परिसर में किया पौधारोपण