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आखिर क्यों हिंदू धर्म छोड़कर मुस्मिल बनें एआर रहमान? वजह जान रह जाएंगे दंग

आज म्यूजिक उस्ताद एआर रहमान के जन्मदिन पर, यहां जानें कि उन्होंने ने हिंदू होने के नाते इस्लाम क्यों अपनाया।

एआर रहमान आज अपना 57वां जन्मदिन मना रहे हैं. वह भारत और दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली संगीतकारों में से एक हैं. उन्होंने कई पुरस्कार जीते हैं, जिनमें छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दो अकादमी पुरस्कार, दो ग्रैमी पुरस्कार, एक बाफ्टा पुरस्कार, एक गोल्डन ग्लोब पुरस्कार और कई अन्य पुरस्कार शामिल हैं. वह अपनी आध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं के लिए भी जाने जाते हैं, जिसने उनके जीवन और संगीत को आकार दिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एआर रहमान (AR Rahman) जन्म से मुस्लिम नहीं थे? पहले उनका नाम दिलीप कुमार था और वह एक हिंदू परिवार से थे. अपने पिता, जो एक संगीतकार भी थे, की मृत्यु के बाद उन्होंने 23 साल की उम्र में अपनी मां और तीन बहनों के साथ इस्लाम धर्म अपना लिया।

आज उनका जन्मदिन है, यहां देखिए किस वजह से उन्होंने इस्लाम कबूल किया. दिलीप कुमार से एआर रहमान तक उनका सफर कैसा रहा? उनके विश्वास ने उनके संगीत और करियर पर कैसे असर डाला?

ऐसे हुआ था इस्लाम से परिचय 
एआर रहमान के पिता आरके शेखर की मृत्यु तब हो गई जब वह केवल नौ साल के थे. उन्हें संगीतकारों के लिए कीबोर्ड प्लेयर और अरेंजर के रूप में काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण करने की जिम्मेदारी उठानी पड़ी. म्यूजिक इंडस्ट्री में उन्हें कई कठिनाइयों और चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, जिससे उनके उद्देश्य और पहचान पर सवाल उठने लगे. उन्हें अपने जवाब इस्लाम में मिले, जिससे उनका परिचय उनकी माँ के परिवार और उनके कुछ दोस्तों ने कराया. वह असल में कादिरी इस्लाम की शिक्षाओं से इंस्पायर्ड थे, एक सूफी संप्रदाय जो प्रेम, शांति और सद्भाव पर फोकस रखता है।

वह इस्लाम की ओर आकर्षित थे. उन्होंने अपनी मां और बहनों के साथ इस्लाम अपनाने का फैसला किया और अपना नाम बदलकर अल्लाह रक्खा रहमान रख लिया, जिसका मतलब है “दयालु” है. उन्होंने कहा कि यह उनकी पसंद है और वह अपनी आस्था किसी और पर नहीं थोपना चाहते. उन्होंने यह भी कहा कि इस्लाम ने उन्हें जीवन में शांति, दिशा और बैलेंस दिया है।

इस्लाम अपनाने के बाद मिली सफलता
एआर रहमान के इस्लाम धर्म अपनाने से उनके संगीत पर कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने अलग-अलग धर्मों के संगीतकारों और गायकों के साथ काम करना जारी रखा और अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया. उन्होंने अपनी कुछ रचनाओं में इस्लामी संगीत के फैक्ट्स को भी शामिल किया, जैसे कुरान का पाठ, प्रार्थना का आह्वान और सूफी भक्ति गीत।

एआर रहमान के हिट सॉन्ग्स
ए. आर. रहमान ने अनेक पॉपुलर और हिट गाने बनाए हैं, जिनमें ‘रोज़ा’, ‘छइंया-छइंया’ , ‘तेरे बिना’, ‘जय हो’, ‘हम्मा हम्मा’, ‘वंदे मातरम’, ‘ख्वाजा मेरे ख्वाजा’, और ‘तुम तक’ जैसे कई गानें शामिल हैं।


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