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चीन के दबाव में मुइज्जू का क्या है आगे का प्लान? जानें भारत विरोधी होने की वजह

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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत को अल्टीमेटम दे डाला है कि वह अपने सैनिकों को 15 मार्च तक वापस ले ले।अब यह सवाल उठता है कि आखिर मुइज्जू भारत को क्यों तेवर दिखा रहे हैं।

HIGHLIGHTS

  • राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद मुइज्जू भारत से पहले चीन पहुंचे
  • राष्ट्रपति बनने से पहले मुइज्जू ने चुनाव में ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था
  • चीन ने मालदीव को 130 मिलियन डॉलर की सहायता देने का ऐलान किया है

 भारत और मालदीव के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. हालात ऐसे हो चुके हैं कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत को अल्टीमेटम दे डाला है कि वह अपने सैनिकों को 15 मार्च तक वापस ले ले. अब यह सवाल उठता है कि आखिर मुइज्जू भारत को क्यों तेवर दिखा रहे हैं. राष्ट्रपति बनने से पहले मुइज्जू ने चुनाव में ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था. इस तरह उन्होंने चीन को समर्थन देने का पहले ही ऐलान कर दिया था. पीपुल्स नेशनल कांग्रेस और द प्रोग्रेसिव पार्टी आफ मालदीव्स चीन समर्थित नीति का पालन कर रही है.  वहीं मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की पार्टी भारत से प्रभावित रही है।

उनके कार्यकाल में फरवरी 2021 में एक समझौता हुआ. इसके ​तहत भारत मालदीव की राजधानी माले के पास हार्बर ओर डॉकयार्ड तैयार करना और उसका रखरखाव करना था. इसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाईं जा रही हैं . इस दौरान यहां की मीडिया ने आकलन किया कि यह प्रोजेक्ट बाद में भारतीय नेवल बेस बन जाएगा. नए राष्ट्रपति देश में भारत की मौजूदगी को पसंद नहीं कर रहे हैं।

मुइज्जू की चीन यात्रा 

चुनाव के बाद मालदीव के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद मुइज्जू भारत से पहले चीन पहुंचे. इससे पहले सभी नए राष्ट्रपति पहले भारत का दौरा करते थे. अब मुइज्जू की चीन से वापसी के बाद भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग तेज हो चुकी है।

ऐसा कहा जा रहा है कि हिंद महासागर में मालदीव के जरिए चीन यहां अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है. यह सबसे व्यस्त जलमार्गों में से एक है. यहां पर चीन का करीब 80 फीसदी तेल आयात होता है. मइज्जू के दौरे में चीन के साथ 20 समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं. चीन ने मालदीव को 130 मिलियन डॉलर की सहायता देने का ऐलान किया है।

ऐसे में मालदीव के राष्ट्रपति चीन के दबाव में हैं. भारत विरोधी तेवर दिखाने से उन्हें चीन से अधिक लाभ की उम्मीद है. मुइज्जू पूरी तरह से चीन के ट्रैप में फंस चुके हैं. चीन ऐसा करके भारत को कमजोर करने के प्रयास में जुटा है. वह उसके पड़ोसी देशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है।

 


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