नीतीश सरकार पर खेसारी लाल भड़क गए, अपने एक स्टेज शो में भड़कते हुए खेसारी लाल ने कहा कि ”जब हमारे नेता अपना इलाज करवाने के लिए एम्स में जाते हैं, हमारे नेता अपना इलाज कराने के लिए मुंबई जाते हैं, विदेश जाते हैं तो ये बताइए कि जब ये अपने इलाज के लिए अस्पताल नहीं खुलवाए हैं तो हमारे इलाज के लिए कहां से खुलवा पाएंगे.”

खेसारी के दर्द और हकीकत को ऐसे समझिए

हालांकि खेसारी लाल यादव ने जो दर्द बयां किया है उसकी हकीकत क्या है, यह भी जान लीजिए. दरअसल, आंकड़ों की मानें तो बिहार में पीएचसी केंद्रों की भारी कमी है. बिहार में 44874 गांव है, प्रदेश में 1500 के आसपास पीएचसी केंद्र है।

ये है बिहार के PHC की सच्चाई

अगर गांवों के हिसाब से देखें तो 30 गांव पर एक पीएचसी केंद्र है, लेकिन मैनपावर की कमी है. एनएचएम के आंकड़ों की मानें तो बिहार में 1484 में से सिर्फ 496 पीएचसी केन्द्र (PHC) 24 घंटे काम करते हैं. इतना ही नहीं जिन पीएसची में तीन नर्स हैं, उनकी संख्या मात्र 105 हैं।

सरकारी दावों को इन आंकड़ों से समझिए

बिहार के 38 में से 36 जिलों में जिला अस्पताल हैं, लेकिन इनकी हकीकत किसी से छिपी नहीं है. नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि एक लाख की आबादी पर अस्पताल में 22 बेड होने चाहिए, लेकिन यह संख्या बिहार में 6 है।

जिला अस्पतालों की हालत खराब- CAG

कैग की रिपोर्ट भी खेसारी के दर्द को पुख्ता करती है. दरअसल 2022 में स्वास्थ्य सेवा को लेकर बिहार विधानसभा में कैग की रिपोर्ट में यह कहा गया कि जिला अस्पतालों की हालत खराब है. 59 फीसदी जिलों अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त में दवा मुहैया नहीं कराई जाती है. कई जिला अस्पतालों में ऑपरेशन थियेटर तक नहीं है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार के बड़े कदम: बिहार में 2023-24 के स्वास्थ्य विभाग के बजट में 800 करोड़ की बढ़ोतरी की गई है. बजट साल (2023-24) में 21 मॉडल सदर अस्पताल बनाए जाएंगे. 243 विधानसभा क्षेत्रों में 1379 छोटे स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण होगा. शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान के लिए 3,691 करोड़ आवंटित किए गए हैं. स्वास्थ्य सेवाओं पर पूंजी परिव्यय के लिए 1,830 करोड़ रुपये राशि आवंटित की गई है. सरकार का पीएमसीएच को विश्व स्तर का अस्पताल बनाने पर भी खास फोकस है।


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