तेजस्वी यादव के खास माने जाने वाले मंत्री चंद्रशेखर का विभाग 20 जनवरी की रात अचानक से बदल दिया गया. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही लगातार विवाद खड़ा कर मंत्री चंद्रशेखर को अपने सियासी आकाओं का पूरा समर्थन हासिल था. लेकिन, आखिरकार उन्हें एक ऐसे विभाग का मंत्री बना दिया गया, जिसमें मंत्री के पास करने के लिए कोई काम नहीं है. चंद्रशेखर के हश्र को लेकर कई तरह की चर्चायें हो रही हैं, लेकिन अब नीतीश के खास माने जाने वाले मंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि ऐसा क्यों हुआ।

क्या कहा अशोक चौधरी ने?

भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी से आज मीडिया ने पूछा कि चंद्रशेखऱ समेत राजद के तीन मंत्रियों का विभाग क्यों बदल दिया गया है. अशोक चौधरी ने कहा कि राजद कोटे के मंत्रियों के पास कौन सा विभाग रहेगा, इसका फैसला राजद का ही नेतृत्व करता है. इसमें हमलोगों का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है. पत्रकारों ने सवाल पूछा कि चर्चा ये है कि नीतीश कुमार चंद्रशेखर से नाराज थे. अशोक चौधरी ने कहा-नीतीश जी से लालू जी औऱ तेजस्वी जी मिलने गये और उसके बाद विभाग बदल गया. थोड़ा आप लोग भी जोड़-घटाव कर लीजिये कि ऐसा क्यों हुआ।

अशोक चौधरी ने इशारों में बता दिया कि नीतीश कुमार की नाराजगी के कारण चंद्रशेखर को कोल्ड स्टोरेज में डाल दिया गया है. वैसे भी ये जगजाहिर है कि नीतीश कुमार काफी दिनों से चंद्रशेखर से नाराज थे. लेकिन तेजस्वी यादव अपने खास मंत्री को हटाने या उनका विभाग बदलने को राजी नहीं थे. मजबूर नीतीश चंद्रशेखर को ढो रहे थे. लेकिन चंद्रशेखर को ठीक करने के लिए नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग में केके पाठक जैसे अधिकारी को बिठा दिया था, जिनके सामने मंत्री की कुछ नहीं चल रही थी।

सूत्रों के हवाले से ये खबर आ चुकी है कि 19 जनवरी को जब लालू यादव औऱ तेजस्वी यादव सीएम हाउस में नीतीश से मिलने गये थे तो मुख्यमंत्री ने साफ साफ कह दिया था कि शिक्षा विभाग में चंद्रशेखर का मंत्री बने रहना बर्दाश्त नहीं है. नीतीश तो चंद्रशेखर को बर्खास्त करने पर अड़े थे. सूत्र बता रहे हैं कि नीतीश कुमार ने लालू-तेजस्वी को कह दिया था कि जरूरी हुआ तो वे गठबंधन से बाहर आने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं।

पहले से ही ये चर्चा गर्म है कि नीतीश कभी भी पाला बदल सकते हैं. ऐसे में अपनी कुर्सी जाने के खतरे से डरे लालू-तेजस्वी ने नीतीश कुमार को मनाया कि किसी तरह से चंद्रशेखर को मंत्री बने रहने दिया जाये. उन्हें शिक्षा मंत्री से हटा दिया जाये लेकिन सबसे महत्वहीन विभाग में ही मंत्री बना कर छोड़ दिया जाये. उसके बाद नीतीश कुमार इस बात पर राजी हुए कि चंद्रशेखऱ को गन्ना उद्योग विभाग में भेज दिया जाये, जहां मंत्री के पास कोई काम करने को नहीं होता।


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