BJP के साथ जाते ही शांत हुई CM नीतीश कुमार की सीट बंटवारे पर देरी वाला राग, कहा … भाजपा वाले को पहले से मालूम
बिहार की राजनीति के बडे़ भाई लालू यादव और छोटे भाई नीतीश कुमार की दोस्ती एक बार फिर टूट गई है। 17 महीने लंबी चली इस पारी में कई ऐसे कांड हुए जिससे लालू और नीतीश एक-दूसरे से दूर होते गए और बात यहां तक पहुंच गई कि भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन बनाने के सूत्रधार नीतीश वापस बीजेपी के ही पास पहुंच गए हैं। इसमें सबसे बड़ा मुद्दा सीट बंटवारा भी रहा है। लेकिन, अब नीतीश कुमार की यह उत्सुकता भाजपा के साथ आते ही शांत हो गई है। अब उन्हें सीट बंटवारे को लेकर उन्होंने चुप्पी साध ली है।
दरअसल, यह वही इंडिया गठबंधन में नीतीश चाहते थे कि सीट का बंटवार जल्दी हो जाए जिससे पार्टी को सीट पता हो और फिर पार्टी कैंडिडेट तय करके मैदान में उतर जाए। नीतीश ये कहते रहे कि बीजेपी से लड़ना है तो मजबूती से लड़ना होगा। लेकिन मुंबई में इंडिया गठबंधन की तीसरी बैठक के बाद 1 सितंबर को जो जल्द सीट बंटवारे की बात हुई वो कांग्रेस ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए दिसंबर तक ठंडे बस्ते में डाल दी। और संयोग देखिए कि अब तक बिहार में सीट बंटवार नहीं हुआ है। इतना ही नहीं सीट बंटवारे की राग अलपाने वाले नीतीश कुमार खुद इन बातों को भूल गए हैं।
नीतीश कुमार ने कहा है कि – सीट बंटवारा के बारे में चर्चा करने का कोई तुक नहीं है। वह सब चीज तो होगा ही सब चीज सब बात उन लोगों को पहले से मालूम है। बाकी उन सब चीजों का कोई खास बात नहीं है। ऐसे में अब आप खुद सीएम नीतीश कुमार की इस बयान से मतलब निकाल सकते हैं की आखिर वो इतनी जल्दी बदल कैसे गए।
मालूम हो कि, बिहार के सीएम नीतीश कुमार बुधवार सुबह सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने पहुंचे थे।इसके बाद वह अमित शाह से मिलने पहुंचे और फिर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। यहां से निकलने के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि जेडीयू एनडीए के साथ 1995 से है। अटल बिहारी वाजपेयी के समय से हम लोग साथ हैं। बीच में दो बार हम इधर-उधर हो गए थे। अब कहीं नहीं जाएंगे। साथ ही रहेंगे।
आपको बताते चलें कि, बिहार में छह सीटों के लिए नामांकन होना है. राज्यसभा चुनाव की बात करें तो बिहार में नामांकन की तारीख 15 फरवरी है। कयास लगाया जा रहा है कि बिहार के राजनीतिक आंकड़ों के मुताबिक भाजपा और आरजेडी दो-दो और जेडीयू एक सीट पर जीत हासिल कर सकती है। किसी भी अन्य के पास अपने दम पर छठवीं सीट जीतने की संख्या नहीं है। माना जा रहा है कि यह सीट महागठबंधन के खाते में जा सकती है।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.