विधानसभा में सोमवार को विश्वासमत प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान तेजस्वी यादव के संबोधन के जवाब में उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा तीखी टिप्पणी की। विजय सिन्हा ने कहा, रानी के पेट से राजा पैदा नहीं होगा। वंशवाद की राजनीति नहीं चलेगी। आप तो चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं। आप पांच बार विपक्ष के नेता रहे, लेकिन जनता के हित के लिए आपने क्या किया?

उन्होंने जमीन के बदले नौकरी घोटाले की ओर इशारा करते हुए कहा, जब कार्रवाई होती है तो वो कहते हैं मैं तो बच्चा था, लेकिन ये संपत्ति कहां से आई। भ्रष्टाचार पर कार्रवाई होती है तो भ्रम फैलाते हैं। विजय सिन्हा ने कहा कि जनादेश एनडीए को मिला था। जनता ने सत्ता एनडीए को दिया था, लेकिन इन लोगों ने जनादेश धोखे से छीन लिया था।

‘हमारी संस्कृति पर बार-बार चोट की जाती थी’

उन्होंने कहा कि राजद के मंत्रियों की ओर से हमारी संस्कृति पर बार-बार चोट की जाती थी। धर्म का अपमान किया जाता था। सनातन की संतानों को परेशान किया जाता था। मुख्यमंत्री बार-बार टोकते थे कि किसी धर्म का अपमान मत करो, लेकिन श्रीरामलला, श्रीरामचरित मानस के बारे में बार बार अमर्यादित टिप्पणी की गई।

राजद प्रमुख लालू यादव व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के शासन का काल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 1990 से 2005 तक 15 वर्ष में लाखों बिहारियों का पलायन हुआ सिर्फ इसलिए कि इनके शासन में जंगलराज था। लालू परिवार पर समाजवाद को कलंकित करने के लिए करारा प्रहार किया।

‘राजद के मंत्री नहीं सुधरे’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राजद के मंत्रियों को सुधरने का अवसर दिया, लेकिन फिर भी नहीं सुधरे। शिक्षकों को नौकरी देने का श्रेय लेने पर कहा कि 15 वर्ष चरवाहा विद्यालय खोलने वालों ने दुनिया में बिहार को बदनाम किया। अब शिक्षा में सुधार का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। आखिरी में सिन्हा ने अपनी बात राजद की चुटकी लेते हुए रामधानी सिंह दिनकर की कविता जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है… से की।


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