जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल (GSLV) रॉकेट पर सवार INSAT-3DS मेट्रोलॉजिकल सेटेलाइट ने शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी।

जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल (GSLV) रॉकेट पर सवार INSAT-3DS मेट्रोलॉजिकल सेटेलाइट ने शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी. अपने 16वें मिशन में, GSLV रॉकेट ने INSAT-3DS मेट्रोलॉजिकल सेटेलाइट को इच्छित कक्षा (intended orbit) में स्थापित किया. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सौर पैनलों की सफल तैनाती की पुष्टि करते हुए टीम को बधाई दी. साथ ही कहा कि, ‘Naughty boy now obedient’ यानि Naughty boy (GSLV) अब आज्ञाकारी हो गया है. चलिए इस बारे में जानें।

गौरतलब है कि, मिशन का लक्ष्य वर्तमान परिचालन INSAT-3D और INSAT-3DR सेटेलाइट द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की निरंतरता को बनाए रखना है. यह सैटेलाइट सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करने के साथ-साथ उन्नत मौसम संबंधी टिप्पणियों, मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी के लिए भूमि और महासागर सतहों की निगरानी पर केंद्रित है।

INSAT-3DS मिशन डेटेल्स

गौरतलब है कि, इसरो के अनुसार, शनिवार के मिशन GSLV-F14/INSAT-3DS का उद्देश्य मौजूदा परिचालन INSAT-3D (2013 में लॉन्च) और INSAT-3DR (सितंबर 2016) को बेहतर मौसम संबंधी अवलोकन, भूमि की निगरानी और सेवाओं की निरंतरता प्रदान करना है. मौसम की भविष्यवाणी और आपदा की चेतावनी के लिए समुद्री सतहों के साथ-साथ सैटेलाइट सहायता प्राप्त अनुसंधान और बचाव सेवाएं (एसएआर) प्रदान करने के लिए सहायक रहेगा।

GSLV F14 को ‘naughty boy’ क्यों कहा जाता है?

दरअसल ये मिशन, GSLV F14 अंतरिक्ष यान के लिए 16वां मिशन साबित होगा. इसे “naughty boy” का नाम इसलिए दिया जाता है, क्योंकि इसरो के एक पूर्व अध्यक्ष ने इस अंतरिक्ष यान को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का “naughty boy” करार दिया था।

बता दें कि, GSLV ने अतीत में डिलीवरी करते समय कई बाधाओं का सामना किया है और इसकी विफलता दर 40 प्रतिशत है. जीएसएलवी एफ14 को अब तक अपने कुल 15 अंतरिक्ष अभियानों में से छह में समस्याओं का सामना करना पड़ा है. इस अंतरिक्ष यान से जुड़ा आखिरी मिशन मई 2023 में था, जो सफल रहा था, लेकिन उससे पहले वाला मिशन विफल हो गया था।


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