भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य के सर्वाधिक मुख्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में से एक, साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब सांस्कृतिक कारवां विरासत ‘जश्न-ए-बिहार’ का आयोजन आज से शुरू करता है। कार्यक्रम कल 6 अप्रैल ,2024 (शनिवार) दोपहर 2 बजे से , प्रेम चंद रंगशाला, सैदपुर रोड, राजेंद्र नगर, पटना, बिहार में जारी रहेगा। यह सांस्कृतिक उत्सव संस्कृति मंत्रालय (भारत सरकार), पर्यटन मंत्रालय (भारत सरकार) और कला, संस्कृति और युवा विभाग – बिहार सरकार के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से निपुण भारतीय कलाकार भाग ले रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी दर्शकों के लिए प्रवेश निःशुल्क रहेगा। दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम कुछ शानदार प्रदर्शनों के साथ दर्शकों को बांधे रखने और उनका मनोरंजन करने का वादा करता है।

आज कार्यक्रम की शुरुआत ‘अभी टुक रोते-रोते सो गया है’ के साथ हुई, जो एक रोमांटिक कवि सम्मेलन और मुशायरा है, जो महान शायर ‘मीर तकी मीर’ को उनके जन्म के 300 वर्ष पूरे होने पर समर्पित है। इसमें भारत के कुछ बेहतरीन तथा प्रसिद्ध शायर एवं कवि सम्मिलित होंगे जैसे- फरहत एहसास,अज़्म शाकिरी, जावेद मुशीरी,रामायण धर द्विवेदी, गौतम राजऋषि, अश्विनी कुमार चाँद, कुँवर रंजीत चौहान, अनस फैज़ी और शाकिर देहलवी।

विधा लाल एवं समूह द्वारा प्रदर्शित कथक नृत्य ‘रक्स – घुंघरू बोल उठे’ एक अद्भुत प्रस्तुति थी। शास्त्रीय गायन ‘सुर संध्या’ में पद्म भूषण पं. साजन मिश्रा एवं पं. स्वरांश मिश्रा की प्रस्तुति से दर्शक रोमांचित होकर तालियाँ बजाते रहे।पहले दिन का समापन सुप्रसिद्ध लोक एवं शास्त्रीय गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी के कार्यक्रम ‘सुर यामिनी’ के साथ हुआ।

दूसरे दिन दर्शक तीव्र गति का उर्दू काव्य खेल ‘बैतबाज़ी’ की प्रतीक्षा कर सकते हैं। किस्सा हीर रिस शाह- मनु सिकंदर ढींगरा की मूल कहानी की भी दर्शक प्रतीक्षा कर सकते हैं। दर्शक एक दिलचस्प पैनल चर्चा ‘आज के दौर का सिनेमा ओटीटी की शक्ल में’ का इंतजार कर सकते हैं, जिसमें पंचायत वेब सीरीज़ के प्रसिद्ध अभिनेता फैज़ल मलिक कुंवर रंजीत चौहान के साथ बातचीत करेंगे। दिन का सर्वोच्च बिंदु कश्मीर के रबाब वादक पद्मश्री उस्ताद गुलफाम अहमद खान का वाद्य प्रदर्शन होगा। गायक चंदन दास की महफ़िल-ए-गज़ल दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने का वादा करती है। कार्यक्रम का समापन राजीव सिंह एंड ग्रुप के सूफी गायन से होगा।

साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब के कवि तथा संस्थापक कुँवर रंजीत चौहान ने कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए कहा, ‘साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवाँ विरासत’ एक भारतीय राज्य से दूसरे राज्य में जाकर अधिक से अधिक लोगों को जीवंत भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य से जोड़ रहा है। देश भर के कई राज्यों में शानदार सफलता के बाद, हमें सांस्कृतिक रूप से समृद्ध तथा विरासत वाले शहर पटना पहुंचकर प्रसन्नता हो रही है। हमें विनम्रता के साथ गर्व है कि निपुण, प्रसिद्ध और सम्मानित कलाकार हमारे मंच पर प्रस्तुति देने के लिए सहमत हुए हैं।

हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग आएं और इन कलाकारों की प्रतिभा को देखें। हम युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ना चाहते हैं और उन्हें हमारी भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य की जीवंतता दिखाना चाहते हैं तथा उन्हें सार्थक कला तक पहुंच प्रदान करना चाहते हैं। हम संस्कृति मंत्रालय (भारत सरकार), पर्यटन मंत्रालय – अतुल्य भारत (भारत सरकार) और बिहार सरकार के कला, संस्कृति और युवा विभाग के अमूल्य समर्थन के लिए आभारी हैं जिन्होंने इस कार्यक्रम को संभव बनाया।

‘साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत’ कई राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों – दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर में आयोजित किया गया है और आगे भी कई और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में जारी रहेगा। साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत हमारे देश की विरासत का सार प्रस्तुत करता है जो कि भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य के रूप में जीवंत है।

साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए समर्पित सबसे बड़े प्लेटफार्मों में से एक है जो प्रामाणिक स्वरूपों एवं सच्ची भावना के संरक्षण तथा पोषण की दिशा में काम कर रहा है।


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