एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियां अच्छा काम कर रही हैं। इन एजेंसियों ने जिनके खिलाफ कार्रवाई की है उनमें से 97 फीसदी लोग राजनीति से संबंधित नहीं हैं। ईवीएम पर विपक्ष के सवाल उठाने पर पीएम मोदी ने कहा कि हार का ठीकरा फोड़ने के लिए अच्छा बहाना ढूंढा है।

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे फैसलों से किसी को डरने की जरुरत नहीं है। किसी को डराने धमकाने के लिए कोई फैसला नहीं किया गया है बल्कि देश के विकास के लिए हर फैसले लिए जाते हैं। एक सवाल का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा है कि सही बात है कि विपक्ष को हार का कोई बहाना चाहिए, वे सीधे हार के लिए खुद को दोष नहीं दे सकते इसलिए आरोप ईवीएम और केंद्रीय एजेंसियों पर लगाते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि जिन कानूनों के तहत केंद्रीय एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं, उनमें से किसी कानून को हमारी सरकार ने नहीं बनाया। चुनाव आयोग सुधार का कानून हमारी सरकार लेकर आई। पहले एक परिवार के जो लोग करीबी हैं उन्हें ही चुनाव आयुक्त बना दिया जाता था और फिर वे राज्यसभा चले जाते थे, इसके बाद वे मंत्री बन जाते थे लेकिन हम इस तरह से काम नहीं कर सकते हैं।

एक देश एक चुनाव को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर हम प्रतिबद्ध हैं। देश के बहुत सारे लोगों ने कमेटी को सुझाव दिए हैं। बहुत ही साकारात्मक सुझाव आए हैं। एक देश एक चुनाव लागू होने के बाद देश को बड़ा फायदा होगा।

उन्होंने विदेशी निवेश पर कहा कि हम चाहते हैं कि विदेशी भारत में निवेश करें लेकिन पसीना हमारा होना चाहिए। उत्पादों में हमारी धरती की सुगंध होनी चाहिए और देश के लोगों को रोजगार मिलना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, लंबे समय से हमारे देश में चुनाव में कालेधन का इस्तेमला होता था और यह चर्चा लंबे समय से चल रही थी। चुनाव में खर्च तो होता ही है। पैसे लोगों से ही लेने पड़ते हैं। सभी दल लेते हैं।

मैं चाहता था कि कोशिश करें कि कालेधन से हमारे चुनाव को कैसे मुक्त करें। एक छोटा सा रास्ता मिला। यही पूर्ण है यह जरूरी नहीं है। सांसदों से भी सलाह ली गई। हमने हजार और दो हजार के नोट खत्म कर दिए। चुनाव में यही बड़ी मात्रा में चलते थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 20 हजार रुपये तक कैश लिया जा सकता है। हमने 20 हजार को ढाई हजार कर दिया। पहले क्या होता था कि चेक से पैसा ले सकते थे लेकिन व्यापारियों को लगता था कि चेक से पैसा नहीं दे सकता क्योंकि लिखना पड़ेगा और फिर सरकार देखेगी।

90 के दशक में चुनाव में बड़ी दिक्कत आई। चेक से वे पैसे दे नहीं सकते थे। अब इलेक्टोरल बॉन्ड ना होते तो किस व्यवस्था में ताकत है कि ढूंढकर निकाल दे कि पैसा कहां से आया। यह तो इसकी ताकत है कि आपको पता चल रहा है कि पैसा कहां से मिला। यह अच्छा हुआ, बुरा हुआ वह विवाद का विषय हो सकता है।


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