दिल्ली शराब नीति घोटाले में अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 21 दिनों की अंतरिम जमानत मिली
दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने केजरीवाल को आगामी 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत याचिका दाखिल की थी। शराब नीति मामले में ईडी ने उन्हें विगत 21 मार्च को अरेस्ट किया था और तब से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। लेकिन अब वह जेल से बाहर आ जाएंगे।
दरअसल, दिल्ली शराब नीति मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी और लोकसभा चुनाव में प्रचार का हवाला दिया था। बीते 7 मई को केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसे कोर्ट ने शुक्रवार को सुनाया है। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान 1 जून को है। ऐसे में कोर्ट ने एक जून तक के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी है।
शुक्रवार को कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलिलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि हम केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम रिहाई देने जा रहे हैं। केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर जुलाई में सुनवाई की मांग की। कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल की इस याचिका पर बहस भी अगले हफ्ते खत्म करने की कोशिश करेंगे।
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ने जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ से गुजारिश की थी कि समय खत्म होने पर अरविंद केजरीवाल को सरेंडर करने को कहा जाए। इस पर अदालत ने कहा कि दिल्ली सीएम को 2 जून को सरेंडर करना होगा। अंतरिम जमानत देते हुए कोर्ट ने शर्तों को लेकर कुछ नहीं कहा है। केजरीवाल अब जेल से बाहर आकर लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार भी कर सकेंगे।
इससे पहले गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने अपने हलफनामे में लिखा है कि चुनाव प्रचार मौलिक अधिकार नहीं है। चुनाव प्रचार करना न तो संवैधानिक अधिकार है और न ही कानूनी अधिकार है। अगर केजरीवाल को जमानत दी जाती है तो यह गलत परंपरा की शुरुआत होगी। चुनाव लड़ने वाले किसी व्यक्ति को कभी भी इस आधार पर अंतरिम जमानत नहीं मिली है। अगर इस आधार पर रिहाई हुई तो किसी भी नेता को गिरफ्तार करना कठिन हो जाएगा।
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