NDA या INDIA, इन राज्यों से गुजरेगा केंद्र का रास्ता!
NDA या INDIA, लोकसभा चुनाव के लिए शुरू हुई मतगणना, इन राज्यों पर रहेगी सबकी नजर
लोकसभा चुनाव के सात चरण के मतदान के बाद अब बारी मतगणना की है. 4 जून को सुबह 8 बजे से काउंटिंग शुरू हो गई है और दिन जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा तस्वीर साफ होने लगेगी कि एक बार फिर मोदी सरकार या फिर इंडिया गठबंधन की लग रही है नैया पार. इस बार सातों चरणों में की वोटिंग में लोगों ने पूरे उत्साह के हिस्सा लिया. खुद चुनाव आयोग ने बताया कि भारत ने इस बार वोटिंग में विश्व रिकॉर्ड बनाया है. ऐसे में बंपर मतदान के बीच इस बार सत्ता पर कौन काबिज होगा एनडीए या फिर इंडिया इसका फैसला देश कुछ राज्यों पर निर्भर करेगा. जी हां देश के वो राज्य जो ये बताएंगे कि बार केंद्र में किसका राज होगा. आइए जानते हैं कौन से हैं वह राज्य जो बना रहे हैं देश की 18वीं लोकसभा का रोडमैप.
ये 8 राज्य तय करेंगे किसका होगा राज
भारत में केंद्र की सत्ता पर किसकी चलेगी एनडीए या फिर इंडिया इसमें अहम भूमिका निभाएंगे देश के 8 राज्य. इनमें यूपी, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा, बिहार, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक. इन्हीं राज्यों के समीकरण दोनों ही गुटों के लिए काफी अहम है.
1. उत्तर प्रदेश
यूपी शुरू से ही देश की लोकसभा में सबसे अहम भूमिका निभाता आ रहा है. इसकी वजह है यहां कि सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें. यहां 80 सीट लोकसभा में राजनीतिक दल के बहुमत के आंकड़े में सबसे बड़ा रोल निभाती है. 2019 के चुनाव में बीजेपी 62 सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं सहयोगी बसपा और समाजवादी पार्टी ने 10 और 5 सीट जीती थीं. इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन किया है. वहीं बसपा अकेले चुनावी मैदान में है.
कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली, जो उसके पारिवारिक गढ़ हैं यहां पर उनकी साख दांव पर है. यह अमेठी के लिए विशेष रूप से सच है, जहां पिछली बार राहुल गांधी बीजेपी की स्मृति ईरानी से हार गए थे. सपा 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस महज 17 सीट पर चुनावी मैदान में है.
बीजेपी ने यहां पुराने सहयोगी अपना दल को बरकरार रखा है. जयंत चौधरी की आरएलडी और ओपी राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भी एनडीए के पाले में शामिल कर लिया गया है. यानी बीजेपी का पलड़ा भारी है. न्यूज नेशन सर्वे में यूपी में NDA को बढ़त बताई है.
2. पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल भी लोकसभा की दहलीज लांघने में बड़ी भूमिका निभाएगा. यही वजह है कि बीजेपी का फोकस बंगाल की 42 लोकसभा सीटों पर है. 2019 के चुनाव में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने 22 सीटें जीतीं, वहीं 2014 के रिजल्ट की बात करें तो इस दौरान टीएमसी को 12 और सीटें मिली थीं. यानी 34 सीट पर टीएमसी का कब्जा था. बीजेपी ने 2014 में दो सीटों से 2019 में 18 सीटों पर बड़ी छलांग लगाई.
इस बार बीजेपी ने राज्य में अपने प्रभाव को और बढ़ाने के लिए बंगाल में अपने अभियान में पूरी ताकत झोंकी.जो बताता है कि बीजेपी यहां बेहतर प्रदर्शन कर सकती है.
3. महाराष्ट्र
2019 के चुनावों में महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन था. दोनों ने मिलकर 48 में से 41 सीटें जीतीं. लेकिन इस बार तस्वीर अलग है. शिवसेना दो गुटों में विभाजित हो गई है. वहीं शरद पवार की एनसीपी भी विभाजित हो गई है और उनके भतीजे अजित पवार अब अलग हुए गुट का नेतृत्व कर रहे हैं. एनडीए और भारत में शिवसेना और एनसीपी का एक-एक गुट है और दोनों को वोटों में विभाजन का डर है.
महाराष्ट्र में इंडी गठबंधन के लिए अच्छी संख्या में सीटें विपक्ष के स्कोर को बढ़ावा देंगी और बीजेपी को हराने के लिए उसके मिशन के लिए महत्वपूर्ण होंगी. बीजेपी के लिए चुनौती उस राज्य में अपने नुकसान को रोकना है जिसने 2019 में उसकी सीटों की संख्या में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
महाराष्ट्र को लेकर 2019 के मुक़ाबले एनडीए के स्कोर में गिरावट देखने को मिल सकती है ऐसा एग्जिट पोल कह रहे हैं, हालांकि बीजेपा आश्वस्त है कि यहां उनकी सीटों में मोटा इजाफा होगा.
4. ओडिशा:
पूर्वी राज्यों में ओडिशा भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है किसी भी पार्टी के जीत में. बीजेपी ने इस बार यहां पर अपनी जोरदार बढ़त की उम्मीद जताई है. पीएम मोदी ने खुद यहां ताबड़तोड़ रैलियां और रोड शो किए हैं और दावा किया है कि इस बार न सिर्फ लोकसभा बल्कि विधानसभा में भी बीजेपी अपनी धाक छोड़ेगी.
2019 के चुनाव में नवीन पटनायक की बीजेडी ने तटीय राज्य की 21 सीटों में से 12 सीटें जीती थीं और बीजेपी के खाते में 8 सीटें जीती थीं, तब बीजेपी के स्कोर में भारी उछाल देखने को मिला था. लेकिन 2014 में 1 सीट से 2019 में 8 सीट आना बीजेपी के लिए निश्चति रूप से बड़ी राहत देने वाला था.
5. बिहार:
राजनीति के लिहाज से बिहार की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता. यहां जातिगत गणित अहम भूमिका निभाता है, बिहार बीजेपी की योजनाओं पर बड़ा असर डाल सकता है. एनडीए गठबंधन – जिसमें बीजेपी के साथ-साथ जेडीयू शामिल हैं इस अलायंस ने 2019 में बिहार की 40 में से 39 सीटों पर कब्जा जमाया था.
हालांकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ने बीजेपी छोड़ी भी और बाद में दोबारा शामिल भी हो गए. एनडीए ब्लॉक में चिराग पासवान का लोजपा गुट, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल है. जो इस बार भी बीजेपी खास तौर पर एनडीए को बड़ी जीत दिला सकती है.
वहीं इंडिया ब्लॉक की बात करें तो इसमें तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी, सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई-एमएल शामिल हैं. यही वजह है कि इंडिया गठबंधन भी यहां अपनी जीत को सुनिश्चित मान रहा है.
बीजेपी ने 2019 के चुनावों में 303 लोकसभा सीटें जीती थीं और बिहार जैसे राज्यों में उसने लगभग जीत हासिल की थी, जिसने इसकी संख्या बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी.
6. तेलंगाना:
देश के दक्षिण राज्य तेलंगाना में इस बार कांग्रेस का बेहतरीन प्रदर्शन रहा है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की. 2019 के आम चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति ने राज्य की 17 सीटों में से 9 सीटें जीती थीं. बीजेपी ने चार और कांग्रेस ने तीन सीट पर कब्जा जमाया.
बीते चुनाव में BRS की करारी हार और कांग्रेस की शानदार जीत ने तेलंगाना में मुकाबला दिलचस्प बना दिया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पिछली बार टीआरएस को मिले वोटों पर नज़र गड़ाए हैं. एग्जिट पोल में भी तेलंगाना में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की भविष्यवाणी की गई है, जिसमें दोनों को बीआरएस की कीमत पर लाभ मिलेगा।
7. कर्नाटक:
दक्षिण राज्यों में कर्नाटक भी बड़ा फैक्टर है. यहां भी कांग्रेस के लिए अच्छी स्थिति है क्योंकि विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जीत दर्ज कर बीजेपी नेतृत्व को हराया था. 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने प्रदेश की 28 में से 25 सीट जीती थीं जबकि कांग्रेस और जेडीएस ने एक-एक सीट पर कब्जा जमाया था. इस बार, जेडीएस एनडीए का हिस्सा है. वहीं कांग्रेस अकेले चुनावी मैदान में है.
कर्नाटक में जीतना कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उसके शासन वाले कुछ राज्यों में से एक है. ऐसे में कांग्रेस के इंडिया ब्लॉक में मजबूत बनाने और अपना नेतृत्व कायम रखने में भी कर्नाटक से ज्यादा सीटें आना जरूरी है.
8. आंध्र प्रदेश:
आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू की वापसी के संकेत हैं. ऐसा हुआ तो बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा. नायडू की टीडीपी ने आंध्र में बीजेपी के साथ अलायंस किया है. इसमें 25 लोकसभा सीटें हैं. टीडीपी 17 जबकि बीजेपी 6 सीट पर चुनाव लड़ रही है. जबकि शेष दो सीट पर चुनाव लड़ रही है. अभिनेता-राजनेता पवन कल्याण की जन सेना पार्टी को मिली हैं.
दूसरी तरफ सीएम जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली मौजूदा वाईएसआर कांग्रेस पार्टी है, ओडिशा की तरह, आंध्र में भी राज्य के चुनावों में एक साथ मतदान हुआ. 2019 के चुनाव में, वाईएसआरसीपी ने 22 सीटें जीतकर लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी.
वहीं टीडीपी सिर्फ तीन पर सिमट गई. इंडिया ब्लॉक की बात करें तो तो जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला के नेतृत्व वाली कांग्रेस 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं बाकी सीटें वाम दलों के खाते में हैं.
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