‘पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए’, बंगाल में बीजेपी की सीट कम होने पर बोले दिलीप घोष
पश्चिम बंगाल के पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि पुराने कार्यकर्ता ही जीत की गारंटी होते हैं। नए कार्यकर्ताओं पर इतना जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सीटें कम होने के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एक बयान को एक्स हैंडल पर ट्वीट कर कहा कि एक बात का ध्यान रखें कि पार्टी के एक भी पुराने कार्यकर्ता की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो दस नए कार्यकर्ताओं को अलग किया जाए। क्योंकि पुराने कार्यकर्ता ही हमारी जीत की गारंटी हैं। नए कार्यकर्ताओं पर जल्दी भरोसा करना उचित नहीं है।
बीजेपी की सीटें हुई कम
दिलीप घोष के इस बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। दरअसल, बंगाल में बीजेपी की सीटें इस बार कम हुई हैं। निवर्तमाम केंद्रीय मंत्री निसिथ प्रामाणिक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। टीएमसी ने 29 सीटें जीतकर बीजेपी को तगड़ा झटका दिया।
पीएम मोदी की जमकर तारीफ की
बीजेपी नेता घोष ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अपनी राजनीति में राष्ट्र के हितों और इसके विकास को प्राथमिकता देती हैं। जबकि टीएमसी जैसी क्षेत्रीय पार्टियां पार्टी के हितों और व्यक्तिगत लाभ को प्राथमिकता देती हैं। पैसे से वोट खरीदना और फिर 5 साल तक लगातार लूट में लिप्त रहना यह विपक्षी पार्टियों की आदत है।
इससे पहले कही थी ये बात
इससे पहले दिलीप घोष ने अपनी चुनावी हार के पीछे ‘साजिश’ की ओर इशारा करते हुए बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा अपनी पकड़ को बरकरार रख पाने में क्यों नाकाम रही, इसके कारणों का पता लगाएंगे। घोष ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर पूरी मेहनत से चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हो सके। उन्होंने कहा, ”साजिश आदि राजनीति का हिस्सा हैं। मैं इसे इसी तरह लेता हूं। इसके बावजूद मैंने बहुत मेहनत की लेकिन सफल नहीं हो सका। राजनीति में हर कोई आपको पीछे धकेलने की फिराक में बैठा है।
घोष 2019 में मेदिनीपुर से जीते थे
घोष 2019 में मेदिनीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे लेकिन इस बार उन्हें बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कीर्ति आजाद के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा। यह पूछने पर कि क्या सीट बदला जाना भी उनकी हार का एक कारण हो सकता है, जिस पर घोष ने कहा, ”सब कुछ संभव है। सभी फैसलों के निहितार्थ होते हैं। बंगाल की जनता तय करेगी कि क्या सही है और क्या गलत। जब टीम ने मुझसे कहा तो मैंने पूरी शिद्दत से उसे अंजाम दिया। मैंने पूरी ईमानदारी से चुनाव लड़ा। मैं एक अनुशासित कार्यकर्ता हूं। मेरी पार्टी ने मुझसे चुनाव लड़ने को कहा, मैंने लड़ा। उन्होंने कहा, ”बर्धमान एक मुश्किल सीट थी और जो लागे वहां गए, वे स्वीकार करेंगे कि सीट पर चुनौती थी।
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