मोदी के साथ 71 सांसदों ने ली मंत्री पद की शपथ, जानिए क्या है नई कैबिनेट का जातीय समीकरण
देश में लगातार तीसरी बार मोदी सरकार का आगाज हो गया है। बीते शाम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 71 मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसके साथ ही अब इस बात की चर्चा तेज है कि पीएम मोदी की नई कैबिनेट में की नई सोशल इंजीनियरिंग क्या है?
दरअसल, नई सरकार के गठन के साथ ही इस बात की चर्चा है कि इस कैबिनट का जातीय समीकरण की क्या है साथ ही नए वोटर वर्ग के साथ कोर वोटर पर फोकस है तो साइलेंट वोटर मानी जाने वाली महिलाओं का भी सरकार में प्रतिनिधित्व है या नहीं ? सीधे शब्दों में कहें तो किस जाति-वर्ग से कितने मंत्री बनाए गए हैं?
ऐसे में इन सवालों पर जवाब मालूम किया जाता है तो मोदी 3.0 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और एसईबीसी को मोदी मंत्रिमंडल में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया है। ओबीसी से 27 और एसईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) से दो मतलब कुल 29 मंत्री इस वर्ग से बनाए गए हैं। एसईबीसी, ओबीसी का ही एक उपवर्ग होता है। ओबीसी-ईबीसी के बाद सामान्य वर्ग का नंबर आता है। बीजेपी का कोर वोटर माने जाने वाले सामान्य वर्ग से 28, अनुसूचित जाति (एससी) से 10 और अनुसूचित जनजाति वर्ग से मोदी सरकार में पांच मंत्री बनाए गए हैं। इसके साथ ही एक मंत्री इसाई समुदाय से भी बनाया गया है।
जानकारी हो कि, मोदी सरकार 3.0 में मंत्रिमंडल के जरिए बीजेपी ने जातीय गणित भी साधा है। बीजेपी का कोर वोटर माने जाने वाले सामान्य वर्ग से 28 मंत्री बनाए गए हैं। ऐसे में सवर्ण वर्ग के अंदर जातीय समीकरण पर नजर डालें तो नई कैबिनेट में आठ ब्राह्मणों और तीन राजपूत नेताओं को मंत्री बनाया गया है। भूमिहार वर्ग से मोदी सरकार में दो-दो मंत्री हैं।
इसके अलावा यादव, जाट, कुर्मी, मराठा, वोक्कालिगा से भी दो-दो मंत्री हैं। दो मंत्री सिख समुदाय से भी हैं जिनमें जाट और पंजाबी खत्री शामिल हैं। कर्नाटक के प्रभावशाली लिंगायत समाज के साथ ही निषाद, लोध जाति और महादलित वर्ग से भी एक चेहरे को मंत्री बनाया गया है। पश्चिम बंगाल के प्रभावशाली मतुआ समाज के साथ ही अहीर, गुर्जर, खटिक, बनिया वर्ग से भी एक-एक नेता मंत्रिमंडल में जगह बनाने में सफल रहे हैं।
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