मौत से एक दिन पहले फोन पर बनाया था जिंदगी जीने का प्लान: कैप्टन अंशुमन सिंह की विधवा पत्नी का छलका दर्द
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र दिया गया। इस दौरान उनकी विधवा पत्नी स्मृति सिंह और उनकी मां ने पुरस्कार स्वीकार किया।इस दौरान उन्होंने अपना दुख भी साझा किया और बताया कि वह कैसे मिले थे।
स्मृति सिंह ने अंशुमन से मुलाकातके बारे में बताया, “हमारी मुलाकात कॉलेज के पहले दिन हुई थी। हमें पहली नजर में ही प्यार हो गया। एक महीने के बाद उनका सेलेक्शन आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज के लिए हो गया था और वह मेडिकल कॉलेज के लिए सेलेक्ट हो गए। वह बहुत ही ज्यादा इंटेलिजेंट थे। एक महीन की मुलाकात के बाद ये 8 सालों तक चला।”
स्मृति ने आगे बताया, “उन्होंने मुझसे कहा कि अब हमें शादी कर लेनी चाहिए और हमने ऐसा ही किया। दुर्भाग्य से शादी के दो महीने बाद ही उनकी पोस्टिंग सियाचिन में हो गई और कैप्टन सिंह 26 पंजाब के साथ सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैनात थे। 19 जुलाई, 2023 को सुबह करीब 3 बजे शॉर्ट सर्किट के कारण भारतीय सेना के गोला-बारूद के ढेर में आग लग गई। कैप्टन सिंह ने फाइबरग्लास की एक झोपड़ी को आग की लपटों में घिरा देखा और तुरंत अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए कार्रवाई की। उन्होंने चार से पांच व्यक्तियों को सफलतापूर्वक बचाया, हालांकि, आग जल्द ही पास के चिकित्सा जांच कक्ष में फैल गई। कैप्टन सिंह वापस धधकती इमारत में चले गये। अपने प्रयासों के बावजूद, वह बच नहीं सके और अंदर फंस गए।
स्मृति सिंह ने बताया, 18 जुलाई को हमने लंबी बातचीत की कि अगले 50 वर्षों में हमारा जीवन कैसा होगा। 19 जुलाई की सुबह मुझे फोन आया कि वह नहीं रहे।” “अगले 7-8 घंटों तक हम यह मानने को तैयार नहीं थे कि ऐसा कुछ हुआ है। लेकिन अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है, तो शायद यह सच है। लेकिन यह ठीक है, वह एक नायक है। कैप्टन सिंह का 22 जुलाई, 2023 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भागलपुर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
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