विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा आज, पुरी धाम सज-धजकर तैयार
ओडिशा के पुरी में वार्षिक भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू होने जा रही है। पुरी जगन्नाथ धाम सज-धजकर तैयार है। मंदिर की रीति नीति के अनुसार शनिवार की सुबह महाप्रभु की पूजा-अर्चना के बाद रथखला (रथ निर्माण स्थल) में सज-धजकर तैयार तीनों रथों को पुलिस अधिकारी एवं भक्त खींचकर जगन्नाथ मंदिर के सामने सिंहद्वार तक लाए।
परंपरा के अनुसार सबसे पहले जगन्नाथ महाप्रभु के नंदीघोष रथ, इसके बाद देवी सुभद्रा के दर्पदलन एवं अंत में भाई बलभद्र के तालध्वज रथ को खींचकर लाया गया। रविवार को कई स्तरों पर धार्मिक अनुष्ठान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शाम में प्रतीकात्मक तौर पर रथ खींचा जाएगा। इसके बाद सोमवार को रथयात्रा की शेष प्रक्रिया पूरी होगी।
इस वर्ष रथयात्रा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु भी शामिल होंगी। वह शनिवार की शाम भुवनेश्वर पहुंच गई। ओडिशा के चार दिवसीय दौरे पर पहुंची राष्ट्रपति रविवार को रथयात्रा में शामिल होंगी। मालूम हो कि इस वर्ष भक्तों को महाप्रभु के नवयौवन वेश का दर्शन नहीं हो पाया, क्योंकि इस वर्ष रथ यात्रा के पहले दिन रविवार को ही नवयौवन और नेत्रोत्सव विधि संपन्न की जाएगी।
रविवार को महाप्रभु जगन्नाथ, देवी सुभद्रा, प्रभु बलभद्र एवं चक्रराज सुदर्शन को पहले सिंहद्वार के सामने सुसज्जित रथों पर रथारूढ़ किया जाएगा। इसके बाद रविवार को प्रतीकात्मक रूप से रथ खींचा जाएगा और फिर सोमवार को लाखों भक्तों के जयघोष के बीच महाप्रभु नौ दिनों की यात्रा पर मौसी के घर पहुंचेंगे। बहरहाल, महाप्रभु के स्वागत के लिए मंदिर मार्ग (बड़दांड) को सजाया जा रहा है।
शनिवार को रत्न भंडार जांच कमेटी की पहली बैठक के बाद कमेटी के नए अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस विश्वनाथ रथ ने भंडार की डुप्लीकेट चाबी ट्रेजरी में होने को लेकर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस डुप्लीकेट चाबी से अगर रत्न भंडार का ताला नहीं खुला तो ताले को तोड़ दिया जाएगा। बैठक खत्म होने के बाद मीडिया से बात करते हुए जस्टिस रथ ने कहा कि रत्न भंडार खोलने को लेकर तिथि निर्धारित नहीं हो पाई है।
नौ जुलाई को पुन: बैठक होगी, उसमें चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचन्दन ने कहा है कि कमेटी जो भी निर्णय लेगी, उसे सरकार स्वीकार करेगी। बता दें कि पुरी के रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ को भक्तों द्वारा चढ़ाए गए आभूषण, रत्न आदि रखे गए हैं। पिछले 40 वर्षों से रत्न भंडार नहीं खुला है।
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