डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसा में फरिश्ता साबित हुए छपरा आरपीएफ SI प्रमोद कुमार, ऑफ ड्यूटी रहकर बचाई लोगों की जान
छपरा : 18 जुलाई 2024 को 15904 चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस डिरेल हो गई. हादसा इतना भयानक था कि ट्रेन के कई कोच पटरी से दूर छिटक गए थे. चारों तरफ चीख पुकार मची थी. कुछ यात्री ऐसे भी थे जिन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? पूरी ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी थी. ट्रेन अपनी रफ्तार से गंतव्य की ओर बढ़ रही थी. इसी बीच जोरदार आवाज के साथ ट्रेन पटरी से उतरकर हादसे का शिकार हो जाती है।
जब रेलवे के SI प्रमोद बने फरिश्ता : ट्रेन की बोगी झटके खाने लगी. कोच में लोग यहां वहां लुढ़कने लगे. कुछ रेल के डिब्बे पटरी से दूर खेतों तक बिखर गए. हादसे में 4 की मौत हो गई. कई लोग जख्मी हो गए. चीखपुकार भरे वातावरण में एक शख्स ऐसा था जो यात्रियों के लिए फरिश्ता बन गया. उस शख्स का नाम है RPF के उप निरीक्षक प्रमोद कुमार. आरपीएफ के उप निरीक्षक प्रमोद कुमार गोंडा रेलवे कोर्ट में गवाही के बाद ड्यूटी ऑफ कर छपरा अपने पोस्ट पर लौट रहे थे।
हादसे में लोगों को बचाई जान : आरपीएफ एसआई प्रमोद कुमार चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की B1 कोच में सवार थे. अपने सीट पर बैठे थे तभी हादसा हुआ और उनका कोच 80 डिग्री तक झुककर झटके खाते हुए रुक गया. प्रमोद कुमार ऐसे भयानक माहौल में न सिर्फ खुद को संभालते हैं, बल्कि लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं. इमरजेंसी विंडो तोड़कर वह महिलाओं और बच्चों को बाहर निकालते हैं. जब ट्रेन डिरेल हुई तो कई यात्री उनके ऊपर गिर पड़े जिससे वह भी चोटिल हो गए।
ऑफ ड्यूटी रहते हुए जख्मी हालत में निभाया फर्ज : कहते हैं न कि ‘एक जवान कभी छुट्टी पर नहीं होता’. बदन पर खाकी ने उन्हें कर्तव्य के लिए प्रेरित किया. क्योंकि ऐसे ही माहौल के लिए जवान की ट्रेनिंग होती है. लोग जब घबराते हैं तो जवान ऐसे माहौल में ठंडे दिमाग से काम लेता है और मुश्किल को आसान बनाता है. उस दिन कुछ ऐसा ही सूझबूझ का काम प्रमोद कुमार ने भी किया, जिससे कई यात्रियों को बोगी से बाहर निकाला जा सका और अस्पताल पहुंचाया गया।
बच्चों और महिलाओं तक पहुंचाई रेस्क्यू : जख्मी होने के बावजूद प्रमोद कुमार तब तक लोगों को राहत और बचाव कार्य करते रहे जब तक रेस्क्यू टीम वहां नहीं पहुंच गई. उनकी प्राथमिकता थी बोगी से बच्चों को बाहर निकालना और जख्मी यात्रियों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना. प्रमोद कुमार ऐसे लोगों के लिए फरिश्ता बनकर पहुंचे और दर्जनों लोगों की जान बचाई. ट्रेन हादसे का शिकार हो गई है इसकी सूचना भी लखनऊ मण्डल के उपलब्ध आरपीएफ नंबरों पर दी थी।
फरिश्ते से कम नहीं थे प्रमोद कुमार : मोतीगंज थाने की पुलिस के आने पर उनके सहयोग से गंभीर रूप से घायल 4 यात्रियों और मृतकों को अस्पताल भिजवाया. खुद घायल होते हुए भी मौके पर उप निरीक्षक प्रमोद कुमार ने सूझबूझ दिखाते हुए बिना ऑन ड्यूटी रहते हुए भी अपना फर्ज निभाया. निःसंदेह प्रमोद कुमार का ये अद्वितीय साहस और समय पर फैसला लेने की काबिलियत ने उन्हें उस दिन किसी फरिश्ते से कम नहीं थे।
प्रमोद कुमार ने निभाया भर्ज : प्रमोद कुमार ट्रेन में सवार उस जीवनरक्षक किट की तरह थे जिनकी वजह से बोगी के लोगों को तुरंत मदद मिल गई. प्रमोद कुमार ने अपना फर्ज बखूबी निभा कर वर्दी का फर्ज पूरा किया. ऐसे वीर और साहसी जवान को ईटीवी भारत की टीम भी सेल्यूट करती है।
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