Paris Olympics: भारत के दम पर चीन के शूटर ने जीते 2 गोल्ड मेडल, आस्तीन में छुपा है कोड वर्ड
वैसे तो भारत-चीन के बीच राजनीतिक तनाव के चलते संबंध ठीक नहीं हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पेरिस ओलंपिक्स में भारत के एक शख्स ने चीन की मदद की है। पेरिस ओलंपिक में चीन के एथलीट एक के बाद एक मेडल जीत रहे हैं। इनमें एक एथलीट ऐसा भी है, जिसने दो दिन के अंदर दो गोल्ड मेडल जीते हैं। चीन के 19 साल के शूटर शेंग लिहाओ ने 2 गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उनकी इस कामयाबी में भारत के एक शख्स का बड़ा योगदान रहा है। आइए आपको बताते हैं पूरा मामला क्या है…
स्टेबलाइजिंग जैकेट का इस्तेमाल
शेंग लिहाओ की जैकेट खेलप्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बन चुकी है। उन्होंने स्टेबलाइजिंग जैकेट पहनी। जिसकी आस्तीन पर ‘10.9’ लोगो लगा हुआ है। इस कोड वर्ड का कनेक्शन भारत के ठाणे से है। इस खास जैकेट को ठाणे स्थित राइफल जैकेट बनाने वाली कंपनी ने डिजाइन किया है। इस कंपनी के ओनर नीलेश राणे हैं। वह पेरिस में शेंग लिहाओ का मुकाबला देखने पहुंचे थे। बता दें कि इस स्पर्धा में भारतीय शूटर अर्जुन बबूता मेडल लेने से चूक गए। वह चौथे स्थान पर रहे।
#OlympicRecord on target for People’s Republic of China! 🇨🇳
Sheng Lihao score of 252.2 is a new Olympic Record. It tops William Shaner’s from USA at Tokyo 2020.@issf_official | #ShootingSport | #Paris2024 | #OMEGA | #OMEGAOfficialTimekeeper pic.twitter.com/BGqmPtCeMz
— The Olympic Games (@Olympics) July 29, 2024
70 प्रतिशत शूटर यूज कर रहे जैकेट
राणे ने 27 साल पहले इस कंपनी की शुरुआत की थी। जिसके प्रोडक्ट निशानेबाजी की दुनिया में बेहतरीन माने जाते हैं। राइफल चलाने वाले शूटर की जैकेट पर कैपेपी पैच ट्रेडमार्क और आस्तीन पर ‘10.9’ बैज लगा है। जिससे भारतीय कनेक्शन का अंदाजा लगाया जा सकता है। राणे के अनुसार, कैपेपी जैकेट पहने निशानेबाजों ने टोक्यो ओलंपिक्स के दौरान 8 मेडल जीते थे। इनमें से 5 गोल्ड थे। उन्होंने आगे कहा कि टोक्यो ओलंपिक में करीब 70 प्रतिशत शूटर उनकी जैकेट को यूज कर रहे थे।
क्या है जैकेट में खास?
दरअसल, इस जैकेट की खास बात पेटेंटेड प्रोडक्ट और कस्टम टेलरिंग है। जैकेट की मदद से शूटर की बॉडी को सहारा मिलता है। ये जैकेट उनकी मांसपेशियों और हड्डियों पर प्रैशर को कम करने में मदद करती है। राणे मुंबई में पले-बढ़े हैं। उन्हें हमेशा से ही खेलों में रुचि थी, लेकिन शूटिंग में इंटरेस्ट नहीं था। उनके दादा के पास सूअर के शिकार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 100 साल पुरानी राइफल थी। उसी राइफल के प्यार के चलते उन्हें शूटिंग में भी दिलचस्पी जाग गई।
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