चमत्कार या इत्तेफाक! युवक ने सुनाई झारखंड ट्रेन हादसे से बचने की कहानी
झारखंड में बीते दिन हावड़ा-मुंबई एक्सप्रेस जमशेदपुर में डिरेल हो गई थी। करीब 15 डिब्बे पटरी से उतरे और साथ वाले ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी से भिड़ गए। हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोगों को चोटें लगी। हादसा सुबह के करीब 4 बजे हुआ। चक्रधरपुर में राजखरसवां और बड़ाबाम्बो के बीच ट्रेन डिरेल हुई।
हादसे का पता लगने के बाद एक शख्स घायलों से मिलने के लिए अस्पताल पहुंचा। उसने घायलों का हालचाल जान और उसके बाद एक पत्रकार से बात करते हुए वह अपनी आपबीती सुनाने लगा। उसने बताया कि भगवान का शुक्र है कि ज्यादा बड़ा हादसा नहीं हुआ। लोगों की जान बच गई और किस्मत कहें या इत्तेफाक, उसकी जान भी बच गई, क्योंकि वह भी इसी ट्रेन में सफर करने वाला था।
BIG BREAKING: Two killed, 20 injured as 18 coaches of Mumbai-Howrah Mail train derail in Jamshedpur
The derailed coaches collided with a freight train standing on the adjacent track. #Jharkhand pic.twitter.com/Yot99ndVjg
— Ashwini Shrivastava (@AshwiniSahaya) July 30, 2024
दोस्त का रोकना वरदान जैसा साबित हुई
ओडिशा के भद्रक जिले के रहने वाले स्टालिन दास बताते हैं कि वे छत्तीसगढ़ में एक थर्मल प्लांट में काम करते हैं। उन्होंने और उनके 2 दोस्तों योगेश और गिरिराज ने टाटानगर से चंपा जाने के लिए हावड़ा-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन का टिकट बुक कराया था। उन्हें टाटानगर से ट्रेन पकड़नी थी, लेकिन एक दोस्त के कहने पर उसने अपनी टिकट कैंसिल करा दी थी। वह टाटानगर में ही अपने दोस्त के पास रुक गए।
दोनों ने रातभर खूब बातें की, लेकिन उसके दोस्तों ने ट्रेन पकड़ ली थी। वह उनका हालचाल जानने ही अस्पताल आया था, क्योंकि वे हादसे में घायल हुए हैं। स्टालिन कहते हैं कि उसके दोस्तों का फोन नहीं लग रहा था। इस बीच उसे न्यूज चैनलों से हादसे के बारे में पता चला तो वह घबरा गया। दोस्तों का पता किया तो सुखद सांस ली। साथ ही दोस्त का आभार जताया, उसने रोक लिया।
#DoubleEngineSarkar's new world record for #TrainAccidents!
7th train derailment in 13 days:
18/7: Gonda
19/7: Valsad
20/7: Amroha
21/7: Alwar
21/7: Nadia
26/7: Bhubaneswar
30/7: #HowrahMumbaiMail devastating accident at Chakradharpur, #Jharkhand.#अश्विनी_वैष्णव_इस्तीफा_दो https://t.co/2F7vpZcLHk pic.twitter.com/W9CX8BGdNH— SunandaSSinha (@SunandaSSinha) July 30, 2024
दोस्तों के बचने की खुशी बयां नहीं कर सकता
स्टालिन दास कहते हैं कि वे इसे किस्मत कहेंगे और यह इत्तेफाक भी है। जो ट्रेन उन्होंने पकड़नी थी, वह हादसे का शिकार हो गई। दोस्तों की जान बच गई, इसकी उसे बहुत खुशी है। वह अपनी उस खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकता, क्योकि दोस्त काफी समय बाद घर जा रहे थे, लेकिन उसे दोस्त का रोक लेना वरदान जैसा लग रहा है। जैसे नई जिंदगी मिल गई हो। क्योंकि दोस्त के रिक्वेस्ट करने पर ही उसने अपनी यात्रा रद्द की थी।
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