मोतिहारी श्रम विभाग में चल रहा है बड़ा खेल! 21 साल की मां की 18 साल की बेटी, फिर भी मिल गया पैसा

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पूर्वी चंपारण जिले का श्रम कार्यालय आजकल चर्चा में बना हुआ है. मामला मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना से जुड़ा हुआ है. जिस योजना के तहत फर्जी लाभुक को अनुदान की राशि के भुगतान के कई मामले सामने आए हैं.

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा: हालांकि,विभाग ने तीन मामलों में रिकवरी कर ली है. वहीं विभाग अन्य मामलों की जांच कर रही है. मामला जिला के कोटवा प्रखंड से सामने आया है.जबकि अन्य प्रखंडों में भी ऐसे फर्जीवाड़ा के होने की बात कही जा रही है.

21 साल की मां 18 साल की बेटी: मिली जानकारी के अनुसार कोटवा प्रखंड के मच्छरगांवा पंचायत स्थित रोहुआ गांव के गुड्डू शर्मा ने अपनी बेटी की शादी में श्रम विभाग से 50 हजार रुपया का अनुदान लिया था. गुड्डू शर्मा के आवेदन में उनकी पत्नी की वर्तमान उम्र 21 साल अंकित है. वहीं बेटी का उम्र 18 साल लिखा हुआ है.

जिसकी बेटी नहीं उसे भी अनुदान: वहीं कोटवा प्रखंड के कररिया गांव के स्व.सुनील कुशवाहा की पत्नी ऊषा देवी ने अंचल कार्यालय से द्वारा जारी अपने वंशावली में सिर्फ चार पुत्र होने की जानकारी दी थी. लेकिन श्रम विभाग ने उषा देवी को बेटी की शादी के लिए 50 हजार रुपया का अनुदान दे दिया.

25 साल की महिला की 18 साल की बेटी: इसी प्रकार कोटवा प्रखंड के पुरानीडीह गांव के रहने वाले राजकुमार शर्मा ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत अपनी 18 वर्षीय पुत्री के शादी को लेकर सरकारी अनुदान के लिए आवेदन दिया, जिस आवेदन में उन्होंने अपनी पत्नी की उम्र 25 वर्ष बतायी है. बावजूद इसके राजकुमार शर्मा को श्रम विभाग से 50 हजार रुपया का अनुदान मिला है.
तीनों से की गई पैसों की रिकवरी: हालांकि,अनुदान देने के बाद जब ये मामले सामने आए तो विभाग के अंदर हड़कम्प मच गया और आनन-फानन में पैसा रिकवरी की कवायद शुरु हुई. विभाग ने फर्जी तरीके से ली गई अनुदान की राशि को इन तीनों लाभार्थी से वापस करा लिया है. इस संबंध में जिला श्रम अधीक्षक अनिल कुमार सिंह ने बताया कि जिले में तीन मामले सामने आये हैं. जिनसे रुपया रिकवरी करा लिया गया है.
“ऊषा देवी, राजकुमार शर्मा और गुड्डु शर्मा से पैसों की रिकवरी कर ली गई है. बहन को बेटी बताकर पैसे लिए थे. मामले के लिए जांच कमेटी बनायी गई थी और कार्रवाई की गई है. वहीं इस योजना के तहत अब तक दिए गए अनुदान की जांच की जा रही है. जांच में मैं पीछे नहीं रहता हूं.”- अनिल कुमार सिंह, श्रम अधीक्षक