एक मुख्यमंत्री जिसने रात में प्रेमिका के साथ बनाई भागने की प्लानिंग, जानें फिर क्या हुआ, पढ़े दिग्गज नेता की प्रेम कहानी

सियासी लोग केवल सियासत ही नहीं करते बल्कि वो प्यार भी दिलेरी से करते हैं. और कई बार उनकी प्रेम कहानियां ऐसी होती हैं कि गुदगुदाती हैं और ये भी कहती हैं मोहब्बत हो ऐसी हो. कुछ ऐसी ही प्रेम कहानी एक मुख्यमंत्री की है, जो कद काठी में जितने लंबे चौड़े थे, उतने ही अपने काम में भी.

तब भारत में ब्रिटिश राज था. देश में अंग्रेजों की हुकूमत चलती थी. समय अलग तरह का था. ऐसे में प्यार करना. रोमांस करते हुए ऐसा बोल्ड काम कर जाना कि हर कोई हैरान रह जाए. शादी में बारात लेकर खुद विमान उड़ाते हुए जाना – ये सब कुछ ऐसी बातें थीं, कम से कम उस जमाने के लिहाज से तो बहुत आगे थीं. इतना हिम्मती रोमांस तो आज भी आसान नहीं है. भारतीय नेताओं के जीवन में बेशक रोमांस और प्यार के लिए काफी जगह रही है लेकिन किसी के जीवन में ना तो ऐसा प्यार दिखा और ना ही ऐसा रोमांस. बात एक ऐसे नेता की हो रही है जो अपने एडवेंचर, बहादुरी और लंबे चौड़े व्यक्तित्व के लिए सबसे अलग था.

वह बीजू पटनायक थे. मौजूदा ओडिशा का निर्माता उन्हें ही कहा जाता है. वह राजनीतिज्ञ थे, पायलट थे और बिजनेसमैन भी. वह दो बार ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे. केंद्रीय मंत्री रहे. पहले उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली. नेहरु और इंदिरा के करीबी रहे. फिर इंदिरा से नाराज हुए. ओडिशा में अपनी सियासी पार्टी कलिंगा कांग्रेस बनाई. फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जनता पार्टी के शासन के दौरान मोरारजी देसाई की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे.

जब वीपी सिंह 1989 में देश के प्रधानमंत्री बने तो इसमें भी उनकी भूमिका खास थी. ओडिशा की जनता आज भी उन्हें बीजू बाबू के नाम से जानती है. उनका कद इस राज्य की राजनीति और प्रभाव में इतना बड़ा रहा कि उसके आसपास भी कोई नजर नहीं आता. 1997 में जब उनका निधन हुआ तो वह 81 साल के थे. हकीकत यही है कि भारतीय राजनीति में वह किसी लीजेंड की तरह रहे और उसी जिये. अब उनके बेटे नवीन पटनायक पिछले 22 सालों से लगातार राज्य के मुख्यमंत्री हैं.

तब वह प्राइवेट एयरलाइंस में पायलट थे

वैसे बीजू पटनायक का पूरा नाम बिजयनंदा पटनायक था. उनकी लव स्टोरी बहुत दिलचस्प है. ओडिशा में उनके जमींदार पिता गंजम जिले के बेलागुंटा गांव में रहते थे. बीजू को उस जमाने में जहाज उड़ाने का चस्का इस तरह चढ़ा कि उन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़ दी. वह पायलट की ट्रेनिंग लेने लगे. उसके बाद एक प्राइवेट एयरलाइंस में पायलट बन गए.

तब वह जहाज लेकर पूरे देश में चक्कर लगाते थे. कभी मुंबई तो कभी लाहौर तो कभी दिल्ली तो कभी किसी और छोर पर. उडान के दौरान ही उन्होंने अपनी पत्नी को पहली बार देखा. ये पहली नजर में प्यार हुआ या दोनों धीरे धीरे करीब आए लेकिन दोनों की लव स्टोरी उस जमाने के लिहाज से बहुत साहसिक और बेधड़क थी.

पहली बार कैसे देखा कि प्यार हो गया

युवा बीजू लंबे चौड़े और इतने स्मार्ट थे कि किसी का भी दिल उन पर आ जाए. दरअसल वह लाहौर फ्लाइट लेकर गए थे. वहां जब रुके तो उन्होंने पहली बार ज्ञानवती सेठी को देखा. युवा ज्ञान तब लाहौर में टेनिस खेलती थीं. उस जमाने में किसी लड़की का टेनिस खेलना एक अलग बात ही थी. वह स्मार्ट, सुंदर और बला की बोल्ड और हसीन थीं. सिख बिजनेस फैमिली की बेटी. परिवार खुले विचारों का था. बड़ा बिजनेस था. ज्ञान को जब बीजू ने पहली बार देखा तो वह अपने किसी दोस्त के साथ लाहौर क्लब में देखा. मुलाकात हुई लेकिन औपचारिक. लेकिन दोनों ही एक दूसरे को कहीं भाए जरूर.

फिर दिल्ली फ्लाइंग क्लब में मुलाकातें

इसके बाद 30 के दशक में दोनों की अक्सर मुलाकातें होने लगीं. ये बीजू का ही असर था कि ज्ञान की दिलचस्पी फ्लाइट में हुई और वह दिल्ली फ्लाइंग क्लब की मेंबर बनकर वहां जहाज उड़ाना सीखने लगीं. बीजू तो इस क्लब के पुराने मेंबर थे ही. दोनों की मुलाकातें और बढ़ गईं. जाहिर सी बात है कि बीजू और ज्ञान एक दूसरे को पसंद करने लगे थे. दोनों के बीच पनपी पहचान घनिष्ठ दोस्ती में बदली और फिर जल्दी ही प्यार में.

लड़की के घर में जाना होने लगा

ज्ञान के परिवार में बीजू का आना जाना होने लगा. इस बीच शायद ज्ञान का परिवार दिल्ली आने-जाने लगा. यहां उनका घर था. जब वो आते थे. तो वहीं रुका करते थे. बीजू अगर लंबे तगड़े और सुदर्शन व्यक्तित्व वाले थे तो ज्ञान भी कद में लंबी, गोरी और सुंदर थीं. बोल्डनेस उन्हें विरासत में मिली थी. वह अक्सर ऐसे बोल्ड काम करती थीं कि लोग हैरान रह जाते थे.

वो बोल्ड किस्सा पत्रकारों को सुनाया

ऐसा ही एक किस्सा बीजू पटनायक ने अपनी जिंदगी के दौरान अपने करीबी कुछ पत्रकारों को एक मुलाकात में सुनाया था. बीजू के बारे में कहा जाता था कि वह फ्री और फ्रेंक थे, जो कुछ भी छिपाने में यकीन नहीं करते थे. वह हमेशा दावा करते थे कि उनकी जिंदगी खुली किताब की तरह है. इस मुलाकात में जब एक पत्रकार ने उनसे जिंदगी में रोमांस से जुड़ी किसी ऐसी बात के बारे में पूछा, जिसका जिक्र उन्होंने किसी से नहीं किया हो तो वह मुस्कुराए. हालांकि उनकी एडवेंचर लाइफ के बारे में काफी लिखा जा चुका था. लेकिन उनकी लव लाइफ के एडवेंचर के बारे में ज्यादा कुछ सामने नहीं आया था. पत्रकार दोस्तों के इस कौतुहल पर पहले बीजू बाबू ने ठहाका लगाया. फिर किस्सा सुनाया. वह उन दिनों देल्ही फ्लाइंग क्लब के सदस्य थे. ज्ञान भी उसी क्लब में मेंबर थीं. दोनों साथ टेनिस खेलते थे. साथ में विमान उड़ाया करते थे. एक दूसरे के प्यार में बुरी तरह डूबे हुए थे.

गुपचुप रात में दिल्ली से आगरा जाने का प्लान

एक बार देल्ही फ्लाइंग क्लब में ही ज्ञान ने उन्हें प्रोपोज किया कि फुल मून आने वाला है और उस दिन रात में चुपचाप आगरा चलते हैं और वहां पर चांदनी रात में ताजमहल की खूबसूरती निहारेंगे. प्रस्ताव पर बीजू तैयार थे. लेकिन ये इतना आसान नहीं था. क्योंकि ज्ञान नहीं चाहती थीं कि उनके घरवालों को इस बारे में जरा सा भी कुछ पता चले.

क्या था ये सरप्राइज प्लान

खैर उन्होंने तैयारी शुरू कर दी. प्लान ये बना कि शाम को बीजू घर पर आ जाएंगे. वहीं परिवार के साथ डिनर लेंगे और फिर रात में गेस्ट रूम में ही ठहर जाएंगे. जब घर वाले सो जाएंगे तो दोनों चुपचाप कार लेकर आगरा चले जाएंगे. फिर वहां से रात में चलकर सुबह घरवालों से उठने से पहले ही लौट आएंगे. वो इस प्लान के जरिए खुद को और घरवालों को सरप्राइज देना चाहते थे. हालांकि ये सब इतना आसान था नहीं.

रात में गैराज से कार निकाली

योजना के अनुसार बीजू उस शाम ज्ञान के दिल्ली स्थित घर पर पहुंचे. सबसे मिले. बातचीत की. डिनर किया. इस घर के लिए बीजू अपरिचित नहीं रह गए थे. उन्हें घर के लोग ज्ञान के अच्छे दोस्त के तौर पर देखने लगे थे. हालांकि घर में कुछ लोगों को इस दोस्ती से कहीं कुछ इतराज भी था. खैर प्लान ये था कि जब घर के सभी लोग सो जाएंगे तब गैराज खोलकर आगरा निकला जाएगा. गैराज से कार बाहर निकालना भी एक समस्या से कम नहीं था. क्योंकि कार को बाहर निकालकर कुछ दूर आगे स्टार्ट करना था ताकि घर का कोई शख्स जगे नहीं और किसी को पता भी नहीं चले.

और फिर पकड़ लिये गए

रात में दोनों चुपचाप गैराज पहुंचे. ज्ञान कार की ड्राइविंग सीट पर बैठीं और बीजू ने कार को पीछे से धक्का लगाना शुरू किया. कार करीब करीब गैराज से बाहर निकल ही चुकी थी कि बीजू को अपने कंधे पर कुछ महसूस हुआ. उन्होंने पलटकर देखा तो ज्ञान के पिता बीजू का कंधे पकड़े हुए थे.

इजाजत तो मिल गई फिर

बीजू बौखला गए. ज्ञान के पिता काफी गुस्से में लग रहे थे. बीजू की हवाइयां उड़ने लगीं कि अब क्या करें. क्या सफाई दें. उन्होंने नाराजगी में कहा, यंग मैन मैं तुमसे उम्मीद नहीं कर रहा था कि तुम ये हरकत करोगे. कम से कम तुम बहादुर हो तुमको अगर ज्ञान के साथ कहीं जाना ही था तो बता देते. अब ज्ञान और बीजू दोनों उनसे माफी मांगने लगे. उन्होंने बताया कि दरअसल उनका प्लान क्या था. खैर पिता मुस्कुराए. उन्होंने उन्हें आगरा जाने की इजाजत दे दी. कहा, सुरक्षित ड्राइव करके आगरा जाओ और परिवार के सदस्यों के ब्रेकफास्ट से पहले ही जरूर लौट आओ.

कैसे हुई शादी

बीजू और ज्ञान की शादी में इस तरह अड़चन तो आई लेकिन दोनों ने ही सबको मनाया और रास्ता आसान किया. खुद बीजू के लिए अपने परिवार को मनाना आसान नहीं था.

तब बारात टाइगर मोठ विमानों से लाहौर पहुंची

ये शादी भी आज की शादियों की तरह नहीं थी. शादी लाहौर में हुई जहां ज्ञान का पूरा परिवार रहता था. जहां से परिवार का बिजनेस चलाया जाता था. शादी 1939 में हुई. बीजू खुद दूल्हा थे लेकिन वो बारातियों को बिठाकर खुद विमान उड़ाते हुए लाहौर पहुंचे. साथ ही उनके कुछ दोस्त लोग भी मोठ विमान के जरिए वहां गए. उन दिनों टाइगर मोठ विमानों का जलवा था.

भारत में वही प्लेन ज्यादा प्रचलन में थे. उस दिन लाहौर में आकाश में जब लोगों ने एक के बाद एक विमानों को आकाश में मंडराते और एयरपोर्ट पर उतरते देखा तो उन्हें लगा कि कहीं कुछ हो तो नहीं गया लेकिन जब पता लगा तो पूरे शहर में हल्ला हो गया कि शहर में एक ऐसी शादी हो रही है, जिसमें दूल्हा और बाराती कई विमानों से आए हैं. दूल्हा खुद विमान उड़ाते हुए पहुंचा है. शादी बहुत ठाट-बाट से हुई. शहर का हर सभ्रांत शख्स इस शादी में पहुंचा. बीजू के घरवाले ओडिशा से इसमें आए थे. साथ में उनके कुछ दोस्त भी.

ये शादी लाहौर में लंबे समय तक चर्चा में रही. ऐसी शादी शायद उसके बाद वहां हुई भी नहीं जहां बारात और दूल्हा इस तरह पहुंचे हों. खैर शादी के बाद जब लौटने की बात आई तो बीजू और ज्ञान के लिए ट्रेन का एक कूपा रिजर्व था. जब ट्रेन रवाना हुई तो टाइगर मोठ विमान इस ट्रेन के ऊपर उड़ते रहे.

पत्नी ज्यादा दिल्ली में रहती थीं

जब बीजू ओडिसा में मुख्यमंत्री बने तो चाहते थे कि उनकी पत्नी ज्ञान सियासी हलचलों से दूर आराम से रहें. इसलिए वह उन्हें नई दिल्ली के एपीजे कलाम रोड (तब औरंगजेब रोड) स्थित आवास पर ही रखते थे. उन्हें भी दिल्ली में रहना ज्यादा अच्छा लगता था. बाद में भी ऐसा ही होता रहा. दरअसल ओडिशा के गर्म और उमस भरे मौसम में ज्ञान रह नहीं पाती थीं.

ओडिसा के मुख्यमंत्री के पिता

वैसे इस दंपत्ति के तीन बच्चे हुए. नवीन, गीता और प्रेम. नवीन फिलहाल ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं और बीजू जनता दल के प्रमुख. 75 वर्षीय नवीन ने शादी नहीं की. वह अविवाहित ही रहे. सबसे बड़ी संतान गीता ने सोनी मेहता से प्रेम विवाह किया. वह ब्रिटेन में बस गईं. हालांकि गीता जानी मानी लेखिका और डाक्युमेंट्री फिल्म मेकर हैं. तीसरी संतान प्रेम पटनायक दिल्ली में रहते हैं और अपना बिजनेस चलाते हैं.

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.
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