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बिहार के एक प्रधानाध्यापक को मिला प्रतिष्ठित शिक्षाग्रह पुरस्कार 2025, वैश्विक मंच पर इस मध्य विद्यालय के कार्यों की गूंज

ByLuv Kush

मार्च 9, 2025
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बिहार के एक सरकारी शिक्षक को शिक्षाग्रह पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है. बेंगलुरु स्थित प्रेस्टीज सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के भव्य सभागार में शिक्षा नेतृत्व संवाद कार्यक्रम के दौरान, बेगूसराय जिले के राजकीयकृत मध्य विद्यालय, बीहट के प्रधानाध्यापक रंजन कुमार को स्कूली शिक्षा क्षेत्र में किए गए क्रांतिकारी बदलावों और अनुकरणीय नेतृत्व क्षमता के लिए शिक्षाग्रह पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया।

यह सम्मान उन्हें भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के मुख्य सचिव संजय कुमार (आईएएस) और इंफोसिस के सह-संस्थापक एवं पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा शिक्षालोकम के संस्थापक एस.डी. शिबूलाल के हाथो सम्मान प्रदान किया गया. रंजन कुमार को ट्रॉफी, प्रशस्ति पत्र और आगामी दो वर्षों के दौरान संभावित भुगतान योग्य संस्तुत, दस लाख रुपये प्रोत्साहन राशि से सम्मानित किया गया, ताकि वे आत्मनिर्भरता के साथ अपने शैक्षिक सुधारों से संबंधित लक्ष्यों व योजनाओं को और अधिक प्रभावी एवं सशक्तबना सकें।

अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, इंग्लैंड, सिंगापुर, जापान, केन्या, फिलीपींस, इंडोनेशिया और वेनेजुएला सहित दुनिया के 24 से अधिक देशों के शिक्षाविद, नीति-निर्माता, सरकारी अधिकारी, सामाजिक संगठन, निजी क्षेत्र और मीडिया क्षेत्र के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में जैसे ही शिक्षाग्रह पुरस्कार 2025 के विजेताओं की घोषणा हुई, पूरे सभागार में मौजूद हजारों लोगों ने खड़े होकर करतल ध्वनि से रंजन कुमार के साथ अन्य तीन विजेताओं का अभिनंदन एवं स्वागत करते हुए सम्मानित किया ।

वैश्विक मंच पर मध्य विद्यालय बीहट के कार्यों की गूंज

छह सदस्यीय स्वतंत्र निर्णायक मंडल के अध्यक्ष और विश्व प्रसिद्ध प्रबंधन शिक्षाविद प्रोफेसर डॉ. एस. सुब्रमण्यम रंगन ने जब रंजन कुमार के नाम की घोषणा की, तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। उन्होंने कहा, “रंजन कुमार ने काफी विपरीत एवं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एक संघर्षरत विद्यालय को मॉडल स्कूल में बदलने का प्रेरणादायक कार्य किया है। उन्होंने संसाधनों की कमी, न्यूनतम छात्रोपस्थिति और शिक्षण वातावरण के अभाव जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करते हुए स्थानीय समुदाय, शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और प्रशासन को एकजुट कर शिक्षा के क्षेत्र में नया इतिहास रचा है। आज उनका विद्यालय पूरे देश के सामने एक अनुकरणीय मॉडल बन चुका है।”

उन्होंने आगे कहा कि रंजन कुमार नेसामुदायिक भागीदारी का ऐसा मॉडल विकसित किया है, जिससे विद्यालय की सरकारी निर्भरता कम हुई है तथा सरकारी संसाधनों की न्यूनता के बावजूद शैक्षिक उत्कृष्टता और सह शैक्षिक क्रिया कलापों की उपलब्धियों में निरंतर वृद्धि हुई है। यह मॉडल अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुकरणीय उदाहरण बन चुका है।

शिक्षा मंत्रालय के मुख्य सचिव ने की विशेष सराहना

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के मुख्य सचिव संजय कुमार (आईएएस) ने कहा कि जब हम अपनी शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने का सपना देखते हैं, तो विद्यालय स्तर पर हमें शिक्षकों, छात्रों और समुदाय को एकजुट कर आगे बढ़ना होगा। रंजन कुमार ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं उत्कृष्ट कौशल विकास का लक्ष्य लिए जनभागदारी से स्कूलों को आगे बढ़ाया जाए, तो यह समाज में परमाणु ऊर्जा जैसी परिवर्तनकारी शक्ति उत्पन्न कर सकती है। उन्होंने रंजन कुमार के साथ-साथ कर्नाटक की रजीता एन, तमिलनाडु के जैवियर चंद्र कुमार और मध्य प्रदेश की मुस्कान अहिरवार को भी उनके असाधारण कार्यों के लिए बधाई दी।

निर्णायक मंडल और वैश्विक हस्तियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति

इस पुरस्कार के विजेताओं का चयन करने के लिए प्रोफेसर डॉ. एस. सुब्रमण्यम रंगन की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय स्वतंत्र निर्णायक मंडल में प्रमुख रूप से पूर्व शिक्षा सचिव, भारत सरकार – अनीता करवाल, रमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और गूंज के संस्थापक – अंशू गुप्ता, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैंड के अर्थशास्त्री – प्रोफेसर स्टीफन डेर्कोन, पद्मश्री सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता – सुधा वर्गीज, प्रख्यात शिक्षाविद डॉ. उर्वशी साहनी शामिल थे ।

बताते चलें कि मंत्रा फॉर चेंज, शिक्षालोकम सहित कई साझीदार संगठन के प्रतिनिधियों की ओर से पूरे देश भर में चिह्नित किए गए 400 से अधिक नामांकनों के बीच, दो महीने की कठोर चयन प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त छह अनुभवी ज्यूरी सदस्यों के मूल्यांकन के बाद, शिक्षा के क्षेत्र में नेतृत्व, संघर्ष और नवाचार की सबसे प्रेरक उदाहरणों को राष्ट्रीय फलक पर सम्मान के लिए चयनित किया गया।


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