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एक मजदूर के बेटे ने UPSC में गाड़ा झंडा, पैसे नहीं होने के कारण कोचिंग भी नहीं कर सका था

“कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों” कवि दुष्यंत कुमार की इस लाइन को पवन कुमार ने यूपीएसी की परीक्षा पास कर चरितार्थ कर दिखाया है। एक मजदूर के बेटे और बेहद गरीब परिवार से आने वाले पवन कुमार ने UPSC CSE 2023 के परिणाम में AIR 239 हासिल की है। बेटे की कामयाबी पर माता पिता समेत पूरे परिवार का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है। बता दें कि संघ लोक सेवा आयोग ने बीते कल यानी 16 अप्रैल 2024 को UPSC CSE 2023 के अंतिम परिणाम जारी किए।

देखा जाए तो ज्यादातर युवा UPSC क्रैक करके अधिकारी बनने की ख्वाहिश रखते हैं। लेकिन ये यूपीएसी की परीक्षा है साहब कोई हंसी खेल तो नहीं, जो चाहा और मिल गई। इसको पाने के लिए कुछ जुझारू लोग पढ़ाई के तापमान में रोजाना घंटों तपते हैं और तब जाकर सफलता का पचरम लहराते हैं। कुछ लोग इसमें ऐसे भी होते हैं जो अपनी पैसों की तंगी, और गरीबी के पैरामीटर के कारण बिना कोचिंग के ही सफलता के गगन को चूमते हैं। एक ऐसे ही शख्स हैं पवन कुमार, गरीबी को अपने लक्ष्य में बाधा नहीं बनने दिया और दृढ़ निश्चय को हकीकत में बदलते हुए तीसरे अटेंप्ट में UPSC क्रैक किया।

क्या कहते हैं पवन कुमार

पवन कुमार कहते हैं, “यह मेरा तीसरा प्रयास था। मेरी यात्रा में मेरे परिवार की बहुत बड़ी भूमिका थी, खासकर मेरे माता-पिता और मेरी बहनों की। परीक्षा कठिन है और पाठ्यक्रम बहुत बड़ा है, लेकिन इसे पास करना असंभव नहीं है। कोचिंग लेना जरूरी नहीं है। मेरे परिवार की हालत ऐसी थी कि मैं इतनी महंगी कोचिंग क्लास नहीं खरीद सकता था। मैं ज्यादातर सेल्फ स्टडी करता था। आप मदद के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ सकते हैं आपके प्रयास दृढ़ता बहुत महत्वपूर्ण है।”

‘हम अभी भी स्टोव का उपयोग करते हैं’

पवन कुमार की मां सुमन देवी कहती हैं, “मुझे अच्छा लग रहा है कि हमें यह दिन देखने को मिला। हमारे पास एक छप्पर की छत है जो बारिश होने पर टपकती थी। इससे हमें बहुत परेशानी हुई। हमारे पास पैसे नहीं हैं।” मैं गैस सिलेंडर खरीदने में अक्षम हूं, इसलिए हम अभी भी स्टोव का उपयोग करते हैं। मैंने एक मजदूर के रूप में कड़ी मेहनत की, वह अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके घर पर चुपचाप पढ़ाई करता था।”

‘हम अक्सर भूखे सो जाते थे’

पवन कुमार के पिता मुकेश कुमार कहते हैं, “उसकी कड़ी मेहनत, और हमारी परिस्थितियों के बावजूद उसके समर्थन के साथ, हमने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया है। हमने खर्च उठाने में सक्षम होने के लिए सभी प्रकार के छोटे-मोटे काम किए। उनकी और हमारी बेटियों की शिक्षा। हमने बहुत मुश्किल से पैसे बचाए ताकि वह अच्छी तरह से तैयारी कर सके। हम अपने घर का नवीनीकरण नहीं कर सके क्योंकि हमने अपने बच्चों को पढ़ाया था। बारिश के दौरान हमारी छत टपकती थी और हम सभी रात बिताते थे। एक जगह, लेकिन वह पढ़ने के लिए जिद पर अड़ा था, हम अक्सर भूखे सो जाते थे, अब भगवान ने हम पर कृपा की है”

‘बिजली के न होने पर लैंप की रोशनी में पढ़ाई करते थे’

पवन कुमार की बहन गोल्डी कहती हैं, “हम शांतिपूर्ण माहौल में रहते थे और उन्हें शांति पसंद थी। वह इसी छत के नीचे रहकर पढ़ाई करते थे और जब बिजली नहीं होती थी तो वह मिट्टी के तेल के लैंप की रोशनी में पढ़ाई करते थे। हम पैसों के लिए हर तरह के छोटे-मोटे काम किए, उसे एक मोबाइल फोन की जरूरत थी, इसलिए हम सभी ने उसके लिए एक फोन खरीदने के लिए कड़ी मेहनत की ताकि वह पढ़ सके।”

 


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Sumit ZaaDav

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