भागलपुर। बिहार में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल देखी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘महिला संवाद कार्यक्रम’ के तहत महिलाएं अब सिर्फ लाभार्थी नहीं, बल्कि नीति निर्धारण की सहभागी भी बन रही हैं। इस पहल से महिलाएं न सिर्फ अपनी राय साझा कर रही हैं, बल्कि राज्य के विकास के लिए सुझाव भी दे रही हैं।
हर दिन 7 हजार से अधिक महिलाएं कर रही हैं भागीदारी
भागलपुर जिले के विभिन्न प्रखंडों में प्रतिदिन आयोजित 30 महिला संवाद सत्रों में 7,000 से अधिक महिलाएं हिस्सा ले रही हैं। अब तक 105 ग्राम संगठनों में संवाद आयोजित हो चुका है, जिसमें 24,000 से ज्यादा महिलाओं की सक्रिय भागीदारी दर्ज की गई है।
महिलाएं खुद गढ़ रही हैं विकास का खाका
कार्यक्रम में शामिल रूबी देवी, जो गौरव जीविका महिला ग्राम संगठन की सदस्य हैं, कहती हैं,
“कभी नहीं सोचा था कि सरकार हमारी भी सुनना चाहेगी। हम अपनी आकांक्षाएं साझा कर रहे हैं ताकि भागलपुर और बिहार का समुचित विकास हो सके।”
वह बताती हैं कि सरकारी योजनाओं ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद की है, और अब वह अपने गांव के विकास में भी योगदान देने को तत्पर हैं।
महिला संवाद: सुझावों से नीतियों तक
इस संवाद कार्यक्रम के ज़रिए महिलाएं:
- सरकारी योजनाओं के अनुभव साझा कर रही हैं
- गांव और समुदाय के विकास के लिए सुझाव दे रही हैं
- राज्य की नीतियों पर अपने विचार व्यक्त कर रही हैं
जीविका द्वारा गठित कुल 1,820 ग्राम संगठनों में महिला संवाद का आयोजन होना है। संवाद से प्राप्त सभी सुझावों और मंतव्यों को एक विशेष मोबाइल एप के माध्यम से दर्ज और विश्लेषित किया जा रहा है, ताकि राज्य सरकार उन्हें आगामी योजनाओं और नीतियों में सम्मिलित कर सके।
नीतियों में महिलाओं की भागीदारी को मिलेगा बढ़ावा
यह पहल न सिर्फ महिलाओं को सशक्त बना रही है, बल्कि उन्हें राजनीतिक और सामाजिक निर्णयों में भागीदारी का अवसर भी दे रही है। यह बिहार के लिए महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नया और उल्लेखनीय अध्याय साबित हो सकता है।