‘सुशासन’ पर करारा तमाचा…नीतीश राज की बदल गई परिभाषा ! दागी अफसर की मलाईदार-फील्ड पोस्टिंग, कृषि विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपी को बना दिया DAO, साथ में एक और प्रभार
PATNA: क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार से समझौता कर लिया है ? क्या सीएम के लिए करप्शन अब कोई मुद्दा नहीं रहा? क्या भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपी व जेल भेजे गए अफसरों को फील्ड पोस्टिंग व मलाईदार जगह देने की सहमति सरकार ने दे दी है या फिर यह सब चोरी-छुपे किया जा रहा ? अब इस तरह के गंभीर सवाल उठने लगे हैं. अब तक यही व्यवस्था थी कि जिस अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर केस हों, जिन्हें रिश्वत लेते निगरानी ने पकड़ा हो या फिर आय से अधिक संपत्ति को लेकर जांच एजेंसियों ने मुकदमा दर्ज किया हो, उन अधिकारियों को फील्ड से हटा दिया जाता है. जब तक विभागीय कार्यवाही या न्यायालय से क्लीन चिट नहीं मिल जाती, उन्हें फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जाती है. आज भी बड़ी संख्या में छोटे से लेकर बड़े अफसर हैं जो इन आरोपों में घिरे हैं, वे फील्ड से दूर हैं. लेकिन बिहार के कृषि विभाग ने तो सरकार के सारे कायदे-कानून को ही तोड़ दिया है. यहां तो रिश्वत लेते जेल गए अधिकारी को मलाईदार जगह दी जा रही है. बजाप्ता जिला कृषि पदाधिकारी बनाकर पोस्टिंग की जा रही है. कृषि विभाग द्वारा निगरानी केस के आरोपी को फील्ड पोस्टिंग दिए जाने से विभाग के अफसर भी अचरज में हैं. विभाग के अंदर चर्चा है कि सेटिंग से सबकुछ संभव है।
नीतीश राज की बदल गई परिभाषा …दागी को मलाईदार जगह
बिहार के कृषि विभाग में बड़ा खेल किया जा रहा है. दागी अधिकारियों को फील्ड पोस्टिंग दी जा रही है. नीतीश सरकार ने दागादारों को फील्ड में जगह देने पर अघोषित तौर पर रोक लगा रखी है, लेकिन कृषि विभाग में इसका खुल्लम खुल्ला उलंघन किया जा रहा है. 30 जून 2023 को कृषि विभाग ने बड़ी संख्या में अधिकारियों को इधर से उधर किया है. इसी ट्रांसफर लिस्ट में दागदारों को भी घुसा दिया गया है. लिस्ट में न सिर्फ घुसाया गया बल्कि एक साथ दो-दो पोस्ट भी दे दिया गया है. बात औरंगाबाद के जिला कृषि पदाधिकारी राम ईश्वर प्रसाद की कर रहे हैं. कृषि विभाग ने बिहारशरीफ के अनुमंडल कृषि पदाधिकारी रहे राम ईश्वर प्रसाद को जिला कृषि पदाधिकारी औरंगाबाद के पद पर पदस्थापित किया है. इतना ही नहीं इन्हें औरंगाबाद आत्मा का परियोजना निदेशक का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया है।
औरंगाबाद के डीएओ के बारे में जानें…
अब जरा औरंगाबाद के वर्तमान जिला कृषि पदाधिकारी राम ईश्वर प्रसाद के बारे में जान लें. ये 2013 में गया में जिला उद्यान पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित थे. राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत प्याज के गोदाम निर्माण हेतु अनुदान की राशि के भुगतान के लिए ₹7000 रिश्वत मांग रहे थे. गया के चमेली देवी के पति रामप्रवेश पांडेय से 7 हजार रू रिश्वत लेते राम ईश्वर प्रसाद को निगरानी ने 4 जुलाई 2013 को रंगे हाथ पकड़ा था. निगरानी में इनके खिलाफ 34/2013 दर्ज किया था. निगरानी ने इनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप में केस दर्ज किया था. गिरफ्तार कर जेले भेजे जाने के बाद कृषि विभाग ने 16 जुलाई 2013 को इन्हें निलंबित किया था. 7 फरवरी 2014 को इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही प्रारंभ की गई थी. विभागीय जांच आयुक्त को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया था. निलंबन से मुक्ति के लिए इन्होंने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर किया था. पटना हाई कोर्ट के पारित आदेश के आलोक में विभाग के स्तर पर रामेश्वर प्रसाद के निलंबन मुक्ति संबंधी आवेदन की समीक्षा की गई. समीक्षा के बाद निर्णय लिया गया कि चूंकी निगरानी ब्यूरो द्वारा घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया है, ऐसी परिस्थिति में निलंबन मुक्त किया जाना विभागीय कार्यवाही के निष्पादन के बाद ही उपर्युक्त होगा. कृषि विभाग की तरफ से यह पत्र 25 सितंबर 2017 को जारी हुआ था. तब कृषि विभाग ने निलंबित रखने का फैसला लिया था. हालांकि बाद में इन्हें निलंबन मुक्त किया गया और अनुमंडल कृषि पदाधिकारी के पद पर पोस्टिंग की गई है।
निगरानी कोर्ट में चल रहा केस
जानकारी के अनुसार, भ्रष्टाचार के आरोपी डीएओ को न्यायालय की तरफ से क्लीन चिट नहीं मिली है. केस न्यायालय में चल रहा है. निगरानी ब्यूरो की तरफ से जो जानकारी साझा की गई है, उसमें भी औरंगाबाद के भ्रष्टाचार के आरोपी जिला कृषि पदाधिकारी राम ईश्वर प्रसाद को बरी नहीं दिखाया गया है. हमने डीएओ राम ईश्वर प्रसाद से विभागीय कार्यवाही के बारे में जानकारी चाही. न्यायालय में चल रहे केस के बारे में भी पूछा. लेकिन उन्होंने न तो फोन कॉल का जवाब देना उचित समझा और न लिखित सवाल का . लिहाजा उनका पक्ष नहीं लिखा जा सका. हमने विभाग के वरीय अधिकारियों से भी जानना चाहा,लेकिन जवाब नहीं।
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