जहां महिलाएं और लड़कियां सुरक्षित नहीं महसूस करतीं, वह समाज सभ्य नहीं : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को महिलाओं के खिलाफ हिंसा को ‘लक्षणात्मक रोग’ कहे जाने की निंदा की है । दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती कॉलेज में ‘विकसित भारत में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर छात्रों और फैकल्टी के सदस्यों को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं आश्चर्यचकित हूं, मैं दुखी हूं और कुछ हद तक चकित हूं कि सर्वोच्च न्यायालय के बार के एक सदस्य और संसद का एक सदस्य ऐसा कहते हैं? लक्षणात्मक रोग और यह सुझाव देते हैं कि ऐसी घटनाएं सामान्य हैं? शर्मनाक! ऐसी स्थिति की निंदा करने के लिए शब्द भी कम हैं। यह उस उच्च पद के साथ सबसे बड़ा अन्याय है।” उन्होंने कहा, “जहां महिलाएं और लड़कियां सुरक्षित नहीं महसूस करतीं, वह समाज सभ्य नहीं है। वह लोकतंत्र भी धूमिल हो जाता है, यह हमारे विकास के लिए सबसे बड़ी बाधा है।” इस दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड की आवश्यकता पर ध्यान देते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड एक संवैधानिक आदेश है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के “बस बहुत हुआ” के आह्वान को दोहराने की अपील की
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने नागरिकों से राष्ट्रपति के “बस बहुत हुआ” के आह्वान को दोहराने की अपील की और कहा, “राष्ट्रपति ने कहा, बस बहुत हुआ!” आइए, इसे राष्ट्रीय आह्वान बनाएं। मैं चाहता हूं कि यह आह्वान सभी के लिए हो। चलिए संकल्प लें कि हम एक ऐसा सिस्टम बनाएंगे जिसमें कोई भी लड़की या महिला पीड़ित न हो। आप हमारी सभ्यता को नुकसान पहुंचा रहे हैं, आप अति क्रूरता का प्रदर्शन कर रहे हैं। किसी भी चीज को बीच में न आने दें और मैं चाहता हूं कि देश के हर नागरिक इस समय की सटीक चेतावनी को सुने।” दरअसल कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना से पूरे देश में गुस्सा और नाराजगी का माहौल है। पिछले दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी कोलकाता की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि ‘वह घटना से निराश और भयभीत हैं।’ अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए राष्ट्रपति ने महिला अपराधों पर रोक का आह्वान किया था और कहा था कि ‘अब बहुत हो गया, अब समय आ गया है कि भारत महिलाओं के खिलाफ अपराधों की ‘विकृति’ के प्रति जाग जाए और उस मानसिकता का मुकाबला करे जो महिलाओं को ‘कम शक्तिशाली, कम सक्षम, कम बुद्धिमान’ के रूप में देखती है।’
महिलाओं से वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनने को कहा
भारती कॉलेज में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि हमारी बेटियों और महिलाओं के मन में डर एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, “जहां महिलाएं और लड़कियां सुरक्षित नहीं महसूस करतीं, वह समाज सभ्य नहीं है। वह लोकतंत्र भी धूमिल हो जाता है, यह हमारे विकास के लिए सबसे बड़ी बाधा है।”उन्होंने वित्तीय स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “मैं आप सभी से अपील करता हूं कि आप वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनें। यह आपके ऊर्जा और क्षमता को उजागर करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने आगे कहा, “लड़कियां हमारे देश के विकास में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सेदार हैं। वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि अर्थव्यवस्था और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।”
लिंग आधारित असमानताओं को समाप्त करने की आवश्यकता पर दिया जोर
लिंग आधारित असमानताओं को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “क्या हम कह सकते हैं कि आज लिंग आधारित असमानता नहीं है? समान योग्यता के बावजूद भिन्न वेतन, बेहतर योग्यता के बावजूद समान अवसर नहीं। यह मानसिकता बदलनी चाहिए। पारिस्थितिकी तंत्र को समान होना चाहिए, असमानताएं समाप्त होनी चाहिए।”
महिलाओं की भागीदारी के बिना भारत नहीं बन सकता विकसित देश
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भारत की वर्तमान विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस प्रगति को महिलाओं की पूर्ण भागीदारी के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “भारत को एक विकसित देश के रूप में सोचने का विचार बिना लड़कियों और महिलाओं की भागीदारी के तर्कसंगत नहीं है। उनके पास ऊर्जा और प्रतिभा है। आपकी भागीदारी के साथ, भारत के विकसित होने का सपना 2047 से पहले पूरा होगा।”
यूनिफॉर्म सिविल कोड है जरुरी
यूनिफॉर्म सिविल कोड की आवश्यकता पर ध्यान देते हुए, जगदीप धनखड़ ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड एक संवैधानिक आदेश है। यह निदेशक सिद्धांतों में है। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा है कि इसे विलंबित किया जा रहा है, लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड जो लंबे समय से किनारे पर है, आपके लिए एक छोटे न्याय का उपाय है। यह कई तरीकों से मदद करेगा, लेकिन मुख्य रूप से यह आपके लिए मददगार होगा।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण गेम चेंजर
उपराष्ट्रपति ने महिलाओं की प्रतिनिधित्व में महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण गेम चेंजर होगा। उन्होंने कहा कि यह पहल नीति निर्धारण को क्रांतिकारी बना देगी और सुनिश्चित करेगी कि सही लोग निर्णय लेने की पदों पर हों।
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