सहेली को बचाने के लिए बाघ से भिड़ गई महिला, थोड़ी ही देर में बाघ को भागने पर किया मजबूर
उत्तराखंड की एक महिला ने अपनी सहेली को बचाने के लिए बाघ से लड़ने में भी संकोच नहीं किया और उसे बचाकर ही दम लिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सूबे के चंपावत जिले में एक महिला ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपनी मित्र को आदमखोर बाघ के पंजे से छुड़ा लिया। महिला और बाघ के बीच लड़ाई कुछ ही देर चली और आखिरकार हिंसक जानवर को मौके से भागने पर मजबूर होना पड़ा। बाघ के हमले में घायल महिला को काफी चोट आई है, हालांकि उसकी हालत खतरे से बाहर है।
‘दरांती लेकर बाघ के पीछे दौड़ी थीं जानकी’
चंपावत के प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) आर.सी. कांडपाल ने गुरुवार को बताया कि घटना टनकपुर क्षेत्र के उचोलीगोठ गांव में बुधवार को हुई जब गीता देवी और जानकी देवी पास में स्थित बूम रेंज के जंगलों में मवेशियों के लिए चारा लेने गई थीं और अचानक बाघ ने गीता देवी पर हमला कर दिया । वन अधिकारी ने बताया,‘गीता देवी को बाघ द्वारा घसीटकर जंगल में ले जाते देख जानकी देवी घबराने की बजाय अपनी दरांती लेकर उसके पीछे दौड़ी। चिल्लाने के साथ ही जानकी दौड़ते-दौड़ते बाघ पर पत्थर भी फेंकती जा रही थी।’
घायल गीता के सिर में कुल 21 टांके लगे
DFO ने कहा कि थोड़ी देर तक चले संघर्ष के बाद बाघ गीता देवी को छोड़कर भाग गया। इसी दौरान, कई महिलाएं भी मां पूर्णागिरी देवी के नारे लगाते हुए मौके पर पहुंच गईं और गीता की जान बचाने के लिए देवी का आभार जताया। जानकी ने बाद में बताया कि बाघ ने उस पर भी हमला करने की कोशिश की थी लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपनी मित्र को बचाकर ही दम लिया। बाघ के हमले में घायल हो गयी महिला गीता देवी को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां उसके सिर में 21 टांके लगे।
बेहतर इलाज के लिए रेफर की गईं गीता
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाद में गीता को बेहतर उपचार के लिए उच्च स्वास्थ्य केंद्र के लिए रेफर कर दिया गया। DFO ने बताया कि इस इलाके में बाघ और तेंदुओं की अच्छी तादाद है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को जंगलों के पास अकेले न जाने तथा बाघों और तेंदुओं की मौजूदगी को देखते हुए सावधान रहने की सलाह दी गयी है।
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