शिक्षा विभाग के ACS का बड़ा एलान, मार्च महीने से बच्चों को नहीं झेलनी होगी यह बड़ी समस्या

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बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए यह काफी अच्छी खबर है। राज्य के अंदर अगले साल मार्च तक नया वर्ग कक्ष तैयार हो जाएगा। यानी अब स्टूडेंट टूटे-फूटे क्लासरूम में पढ़ाई नहीं करेंगे। अब उन्हें प्राइवेट स्कूल की तरह बेहतर क्लास रूम मिलेगा। इस बात की जानकारी खुद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने दी।

दरअसल,  डॉ. एस. सिद्धार्थ शनिवार को ‘शिक्षा की बात’ में शिक्षकों के प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि ऐसे तो निर्माण का हमारा लक्ष्य मार्च तक का ही, लेकिन संभावित विलंब को देखते हुए हमने जून तक का समय दिया है। इस दौरान जरूरत के अनुसार सभी विद्यालयों में अतिरिक्त वर्ग का निर्माण हो जाएगा।

सिद्धार्थ ने बताया कि इस समय वर्ग कक्ष की कमी और उसमें भी सुविधा की बड़ी समस्या है। इसके कारण एक-एक कमरे में कई वर्ग संचालित होते हैं। एक ओर एक वर्ग की पढ़ाई होती है, दूसरी ओर दूसरे वर्ग की। एक ब्लैक बोर्ड एक दीवाल पर है तो दूसरा दूसरी ओर की दीवाल पर। यह कितनी विचित्र बात है। इससे पढ़ाई बाधित होती है। हमारा लक्ष्य है कि किसी सूरत में एक कमरे में दो वर्ग न हों। एक कमरे में केवल एक ही वर्ग संचालित हों। क्योंकि हर कक्षा की पढ़ाई का मैथर्ड अलग है।

डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि फिलहाल इस समस्या से निपटने के लिए हमने वर्ग को अलग-अलग शिफ्ट में चलाने का निर्णय लिया है। हमने जिलों को भी यह निर्देश दिया है कि मुख्यालय से जो निर्देश भेजे जाते हैं उन्हें पीडीएफ फाइल के रूप में सभी शिक्षकों को अवश्य भेजें। ऐसे विभाग उन्हें संकलित कर रहा है ताकि कोई उलझन न हो। डॉ. सिद्धार्थ से उच्च मध्य विद्यालय दिघवां मसौढ़ी पटना और सारण समेत कई जिलों के शिक्षकों ने सवाल पूछे।

इधर, डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि सरकार ने अभी कम्प्यूटर की किताबें विद्यालयों में भेजी है। वे इसी मानक पर तैयार की गयी है। 6 और 8वीं की किताबें हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में तैयार की गयी हैं। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अंग्रेजी माध्यम से सभी वर्ग में पढ़ाना उचित नहीं। हमारी योजना तो पहली से बच्चों को मैथिली, भोजपुरी व अंगिका में पढ़ाने की है। ये सुझाव भी हमारे पास आए हैं। पहली में स्थानीय भाषा में बच्चों को पढ़ाने से वे बेहतर ढंग से चीजों को समझ सकेंगे।