पंचायत 3 में प्रह्लाद चा बने फैसल मलिक का कहना है एक्टर को एक्टिंग ही करनी चाहिए उन्हें राजनीति में नहीं जाना चाहिए. कंगना के राजनीति में जाने के सवाल पर उन्होंने ये बात कही. साथ ही फैसल ने बताया कि कंगना जैसी अब हैं वो वैसी पहले नहीं थीं. अभी लगता है कि वो कोई और इंसान हैं. पंचायत 3 में अपने काम को लेकर फैसल की काफी तारीफें हो रही हैं.
पंचायत 3 रिलीज़ हो गई है. इस सीरीज़ को पसंद करने वाले लोग सीरीज़ के तीसरे सीजन का लंबे वक्त से इंतज़ार कर रहे थे. तीसरे सीजन में प्रह्लाद चा बनकर फैसल मलिक छा गए हैं. उनके डायलॉग्स की क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. टीवी9 हिंदी डिजिटल ने भी पंचायत के प्रह्लाद चा यानी फैसल से बात की है. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कंगना रनौत के राजनीति में उतरने पर भी खुलकर बात की.
फैसल मलिक ने बताया कि उन्होंने कंगना रनौत के साथ फिल्म रिवॉल्वर रानी में काम किया था. इस फिल्म के वो एग्जक्यूटिव प्रोड्यूसर थे. उन्होंने बताया कि वो इस फिल्म की शूटिंग के लिए चंबल चले गए थे. फैसल मलिक ने कंगना पर बात करते हुए कहा, “कंगना जी बहुत अच्छी महिला हैं. पहले वो ऐसी नहीं थीं. अभी लगता है वो कोई और इंसान हैं…मुझे लगता है एक्टर का काम एक्टिंग है तो वही करना चाहिए, बाकि चीज़ें नहीं करना चाहिए. उनकी बहन जानती हैं मुझे अच्छे से. हमारे साथ काम किया है रंगोली ने. एक-डेढ़ साल ऑफिस में काम किया है. अच्छा एक्सपीरियंस था.”
कंगना के अभिनय की तारीफ करते हुए फैसल ने कहा, “एक्टिंग करने में उनका कोई तोड़ नहीं. अपने हुनर में वो बेस्ट हैं. वो आप करवा लीजिए. साइड शो में क्या-क्या हो गया मुझे पता नहीं चला. मुझे लगता है कि एक्टर ने इतनी मेहनत से जो सीखा है, उसे उसी पर फोकस करना चाहिए.” कंगना के एक्टिंग छोड़ने के सवाल पर फैसल ने कहा कि छोड़ना तो गलत होगा. और काम करना चाहिए.
‘एक्टर्स को राजनीति में नहीं आना चाहिए’
राजनीति में आने के सवाल पर फैसल ने कहा, “एक्टर लोगों को (पोलिटिक्स में) नहीं आना चाहिए मुझे लगता है. क्योंकि पोलिटिक्स का काम पोलिटिशन का है.” उन्होंने कहा कि अगर आपको लगता है कि आप समाज के लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं तो सांसद मत बनिए, ऐसे ही कर लीजिए कुछ न कुछ अच्छा. फैसल का मानना है कि राजनीति एक ऐसा काम है जिसमें 24 घंटे सातों दिन एक्टिव रहना पड़ता है.
फैसल ने कहा, “पोलिटिक्स एक 24 इंटू 7 जॉब है. उसके लिए बेचारा कार्यकर्ता सालों साल किसी का कार्यकर्ता बना रहता है. उसको हटाकर आप किसी बंबई (मुंबई) के आदमी को ले आते हैं. तो उसका दिल तो टूटता ही टूटता है. है कि नहीं…उस शहर में उन लोगों के बीच तो वही बैठा हुआ है न जो उन लोगों का कार्यकर्ता है. पब्लिक से गाली कौन खा रहा है, कार्यकर्ता खा रहा है…फिर आप हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से किसी को ले आते हैं और उससे कहते हैं तुम बन जाओ (सांसद). तो अच्छा नहीं है न, उसको बनना (कार्यकर्ता को) चाहिए.
फैसल कहते हैं कि आपको अगर बहुत सेवा करनी है तो जाइए, पैसा खर्च कीजिए अपना. लोगों के लिए अच्छा कुछ कर दीजिए. आसान है. उन्होंने कहा कि पता नहीं उनको बुरा लगेगा या अच्छआ लगेगा. पर मुझे लगता है ऐसा होना चाहिए.