जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, केंद्रशासित राज्य में राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया है। जिससे नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, यह फैसला तब हुआ जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार (11 अक्टूबर) को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात कर जम्मू-कश्मीर में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के बाद नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। दरअसल, उमर अब्दुल्ला को गुरुवार को सर्वसम्मति से नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल का नेता चुना गया, जिससे मुख्यमंत्री के रूप में उनके दूसरे कार्यकाल का मार्ग प्रशस्त हुआ। उनका पहला कार्यकाल, साल 2009 से 2014 तक था। जब जम्मू और कश्मीर एक राज्य था, वह भी एनसी-कांग्रेस गठबंधन सरकार के अधीन था।
आदेश में क्या कहा गया?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना को लेकर समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) की धारा 73 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 और 239ए के साथ, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के बारे में 31 अक्टूबर 2019 का आदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति से ठीक पहले निरस्त माना जाएगा।बता दें कि, जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव 10 साल के बाद पहली बार आयोजित किए गए थे। 19 जून, 2018 को पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूटने के बाद क्षेत्र में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। वहीं 2019 में, सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और तत्कालीन राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया।
एनसी-कांग्रेस गठबंधन को मिली जीत
बता दें कि, जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ छह सीटें मिलीं। दोनों दलों ने चुनाव पूर्व गठबंधन किया था। चार निर्दलीय विधायकों और आम आदमी पार्टी (आप) के एक विधायक के समर्थन से उनकी स्थिति मजबूत हुई है। भारतीय जनता पार्टी 29 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। गौरतलब है कि, केंद्र शासित प्रदेश में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन चरणों में हुए चुनाव, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहला चुनाव था।