बस कुछ देर के बाद सुरंग में फंसे 41 मजदूर खुले आसमान में लेंगे सांस; रेस्क्यू में लगाई वर्ल्ड क्लास मशीनें

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उत्तरकाशी की सिलक्यारा में टनल में फंसे  41 मज़दूरों के आज बाहर निकलने की संभावना है। पिछले तीन दिनों से हर रोज सूरज का उजाला यही उम्मीद लेकर आ रहा है। सबकी निगाहें टनल पर लगी हैं, सारे इंतजाम कर लिए गए हैं। मलबे में 50 मीटर तक पाइप डाला जा चुका है जबकि करीब 10 मीटर पाइप डाला जाना बाकी है। 23 नंवबर को केवल तीन मीटर पाइप ही अंदर डाला जा सका। अब केवल 10 मीटर की ड्रिलिंग बाकी रह गई है लेकिन चैलेंज ये है कि कल शाम से रेस्क्यू ऑपरेशन पर रोक लग गई है। ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया था। ऑगर मशीन में खराबी के बाद रेस्क्यू रोकना पड़ा है। पूरी रात मशीन को ठीक करने का काम चलता रहा। वो प्लेटफार्म भी अपनी जगह से हट गया है जिसके ऊपर मशीन को माउंट किया जाता है। पूरी रात रिपेयरिंग चलती रही अब तक टनल के अंदर 50 मीटर की ड्रिलिंग हो चुकी है।

खुद पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे मौके पर डटे हैं। उन्होंने कहा, ”मशीन के प्लेटफार्म को ठीक कर लिया गया है, साथ ही उसे मजबूत भी किया गया है। ‘ऑगर’ मशीन के जरिए मलबे के बीच से पाइप डालने का काम 11.30 बजे शुरू होने की उम्मीद है। हमें अभी 12-14 मीटर और जाना है। मुझे उम्मीद है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो शुक्रवार शाम तक अभियान समाप्त हो सकता है।”

10 मीटर की ड्रिलिंग बाकी…आज खुशखबरी आएगी!

उम्मीद जताई जा रही है कि मशीन ठीक होने के बाद दोबारा काम शुरू किया जाएगा। आज दोपहर तक टनल में फंसे लोगों को बाहर निकाला जा सकता है। टनल में एक टीम जहां ड्रिलिंग के काम में लगी है वहीं रेस्क्यू के काम में लगे लोगों की सेफ्टी के लिए ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल किया जा रहा है। हिंदुस्तान में पहली बार टनल के अंदर ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल हो रहा है। बेंगलोर से एक्सपर्टस की टीम इस ड्रोन को लेकर टनल के अंदर गई है।

रेस्क्यू में लगाई वर्ल्ड क्लास मशीनें

पिछले 48 घंटे से हालात लगातार बदल रहे हैं..पहले लगा था कि मलबे में पाइप आसानी से डाले जा सकते हैं लेकिन 22 नवंबर की रात को लोहे के सरिए ने काम रोका तब तक 13 मीटर ही पाइप डाला जाना बाकी रह गया था। ऐसा लगा कि 23 नवंबर को ये बाधा भी पार हो जाएगी। 23 नवंबर को और बड़ी दिक्कत आई और केवल तीन मीटर ही ड्रिलिंग हो सकी। अब आज 10 मीटर का चैलेंज बाकी है। एक्सपर्ट बता रहे हैं कि ये उतना आसान नहीं है। रेस्क्यू में केन्द्र से लेकर राज्य सरकार ने जान झोंक रखी है। दुनिया में जहां भी टनलिंग के एक्सपर्ट हैं, सबको ऑपरेशन में शामिल किया जा रहा है। उत्तरकाशी के इस रेस्क्यू में वर्ल्ड क्लास मशीनें लगाई गई हैं। खुद पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे मौके पर डटे हैं।

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