नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के बाद अब केन्या से लाए जा सकते है चीते, शुरू हुई बातचीत
पहले ही साल नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए कुल 20 चीतों में से छह की मौत के बाद चीता प्रोजेक्ट में अब कुछ बड़े बदलाव की तैयारी है, जिसमें मौजूदा चीतों को मौसम की अनुकूलता देखकर ही खुले जंगल में छोड़ा या फिर उन्हें बाड़ों (इनक्लोजर) में रखा जाएगा। इसके साथ ही चीतों की जो नई खेप आने वाली है वह भी नामीबिया या फिर दक्षिण अफ्रीका के अतिरिक्त किसी दूसरे देश से भी लाई जा सकती है।
केन्या से लाया जा सकता है नई खेप
फिलहाल जो संकेत मिल रहे है उसमें केन्या से इन्हें लाया जा सकता है। जहां मौजूदा समय में चीतों की संख्या करीब 12 सौ के करीब है। इनमें से ज्यादातर खुले जंगल में ही रहते है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, चीता प्रोजेक्ट के तहत वैसे भी देश में अगले दस सालों तक हर साल दस से बारह चीतों को लाने की योजना है, लेकिन इस दौरान यह ध्यान दिया जा रहा है कि जो भी चीते आए वह भारतीय जलवायु में ढल सके।
नए सिरे से की जा रही है तैयारी
फिलहाल अब तक लाए गए 20 चीतों में छह चीतों की जिस तरह से मौत हुई है, उन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से तैयारी की जा रही है। प्रोजेक्ट से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो जिन छह चीतों की मौत हुई है, उनमें से बड़ी संख्या में चीतों की मौत भीषण गर्मी और उमस के मौसम में अचानक से शरीर में उगे बालों के चलते हुई है।
इन जगहों पर है बसाने की तैयारी
चीतों में अमूमन में ऐसे बाल सर्दियों में आते है। लेकिन जलवायु में बदलाव के चलते यह गर्मी में ही आ गए थे। इसके चलते उन्हें पहनाए गए कालर बेल्ट उनके बालों से उलझने लगे। इस रगड़ में उनके बाल कटने लगे और बाद में बालों के उखड़ने वाली जगहों पर इंफेक्शन फैल गया। जब तक यह बात पता चलती तब तक एक-एक कर कई चीतों ने दम तोड़ दिया था। इस बीच चीतों की आने वाली नई खेप को मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य और कूनो में बनने वाले सफारी में बसाने की तैयारी है।
केन्या में पाए जाने वाले चीतों के लिए भारतीय जलवायु उपयुक्त
प्रोजेक्ट से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो चीते की मौत के सभी कारणों को सामने रखते हुए ही अब चीतों की नई खेप को लाया जाएगा। इस दौरान हाल के उन वैज्ञानिक अध्ययन को भी शामिल किया गया है, जो चीतों के संरक्षण में मददगार बन सकते है। इस लिहाज से केन्या में पाए जाने वाले चीतों को भारतीय जलवायु के ज्यादा उपयुक्त पाया जा रहा है। इसके साथ ही यहां पाए जाने वाले ज्यादातर चीते खुले जंगल में ही रहते है।
देश में चीतों को फिर से बसाने की योजना पर हो रहा काम
गौरतलब है कि वर्ष 1980 में देश में चीतों को फिर से बसाने की योजना में जुटे भारत को उस समय ही केन्या ने चीते देने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, उस समय देश में सिर्फ एशियाई चीते ही लाने की सोच थी। जो उस समय ईरान में थे। इसलिए उसके प्रस्ताव को उस समय ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई थी। मौजूदा समय में देश में 14 व्यस्क चीते और भारत में जन्मा एक मादा शावक है।
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