कोसी के वीरपुर बराज और गंडक के वाल्मीकिनगर बराज की जांच होगी। गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (जीएफसीसी) और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। उन्होंने इसकी प्रारंभिक प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इसके तहत सबसे अहम जांच तो यह होगी कि इनके निर्माण की डिजाइन पर तो कोई प्रभाव नहीं पड़ा है? यह भी देखा जाएगा कि उसकी क्षमता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं पड़ा?
गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (जीएफसीसी) और जल संसाधन विभाग के अधिकारी बराज की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे। इस आधार पर आगे की कार्ययोजना बनेगी। इसमें बराज के ओवरफ्लो करने की जांच भी अहम होगी। दरअसल, पिछले दिनों नेपाल में भारी बारिश के बाद कोसी और गंडक में अप्रत्याशित जलस्राव हुआ। कोसी के वीरपुर बराज पर 29 सितंबर को 6.61 लाख क्यूसेक, जबकि गंडक के वाल्मीकिनगर बराज पर 28 सितंबर को 5.62 लाख क्यूसेक पानी पहुंच गया। कोसी में 56 वर्षों के बाद जबकि गंडक में 21 वर्षों के बाद इतना पानी आया। हाल यह हो गया कि दोनों बराज पर पानी ओवरफ्लो कर गया और बराज के ऊपर से पानी बहने लगा। गत वर्ष कोसी का अधिकम जलस्राव 4.62 लाख क्यूसेक, जबकि गंडक का महज 3.14 लाख क्यूसेक था। कोसी के वीरपुर बराज पर तो बड़ी मात्रा में मलबा और लकड़ी के बड़े-बड़े लह्व बराज के गेटों में फंस गए।
गाद भरने की आशंका
कोसी बराज को 9.50 लाख क्यूसेक जलस्राव क्षमता के आधार पर डिजाइन किया गया है, जबकि गंडक बराज 8.50 लाख क्यूसेक जलस्राव पर डिजाइन है। ऐसे में यह भी बड़ा सवाल है कि इससे कम पानी में ही ये बराज ओवरफ्लो कैसे कर गए?
कोसी के वराह (नेपाल) में भी आया अप्रत्याशित पानी
इस बार कोसी नदी में नेपाल के वराह क्षेत्र में जबरदस्त पानी आया। यहां 28 सितंबर को 5.82 लाख क्यूसेक पानी आया। यहां भी 1968 में 9.13 लाख क्यूसेक पानी का रिकॉर्ड बना था।
कोसी वीरपुर बराज
डिजाइन क्षमता 9.50 लाख क्यूसेक
सर्वाधिक जलस्राव 788200 क्यूसेक /05.10.1968
इस साल पानी आया 661295 क्यूसेक/ 29.09.2024
गंडक वाल्मीकिनगर बराज
डिजाइन क्षमता 8.50 लाख क्यूसेक
सर्वाधिक जलस्राव 639750 क्यूसेक/ 31.07.2003
इस साल पानी आया 562750 क्यूसेक/ 28.09.2024
नेपाल से अप्रत्याशित पानी आने के बाद उत्पन्न हालात के बाद कोसी के वीरपुर बराज और गंडक के वाल्मीकिनगर बराज की जांच की जाएगी। जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
-संतोष मल्ल, प्रधान सचिव, जल संसाधन विभाग