देशभर में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों के नाम बदलने की मांग बढ़ती जा रही है, खासकर मुस्लिम नामों से जुड़े स्थानों पर. उत्तर प्रदेश में ‘मुगलसराय’ का नाम बदलकर ‘पं. दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन’ और ‘इलाहाबाद’ का नाम बदलकर ‘प्रयागराज’ किए जाने के बाद, अब बिहार में भी ऐसी मांगें जोर पकड़ रही हैं. बिहार में बख्तियारपुर और सुल्तानगंज स्टेशन के नाम बदलने की मांग लम्बे समय से चल रही है. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने रेल मंत्रालय को सुल्तानगंज स्टेशन का नाम बदलकर ‘अजगैबीनाथ’ रखने का प्रस्ताव भेजने की जानकारी दी है.
रेल मंत्रालय को भेजा गया प्रस्ताव: बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि “सुल्तानगंज नगर परिषद ने बिहार सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें सुल्तानगंज के नाम को बदलने की मांग की गई है. इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के रेलवे मंत्रालय के पास भेजने का फैसला लिया है.” केंद्र सरकार अगर सुल्तानगंज के नाम को बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे देती है तो सुल्तानगंज स्टेशन अजगैबीनाथ धाम के नाम से जाना जा सकता है.
सुल्तानगंज का क्या है महत्वः बिहार का सुल्तानगंज बाबा भोले की नगरी के रूप में जाना जाता है. हर साल लाखों कांवरिया सुल्तानगंज से देवघर के लिए पैदल रवाना होते हैं. यहां गंगा उत्तर वाहिनी है जिस वजह से सावन महीने में लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज से जल उठाकर देवघर के लिए पैदल रवाना होते हैं. सुल्तानगंज में गंगा नदी के बीचो-बीच अजगैबीनाथ मंदिर है. बाबा भोले की पूजा अर्चना करने के बाद कांवरिया जल उठाकर देवघर के लिए प्रस्थान करते हैं. सुल्तानगंज के नाम को बदलने को लेकर लंबे समय से बहस चली आ रही है.
बिहार की राजनीति पर पड़ सकता असरः राज्य में नाम बदलने जैसे मुद्दे अक्सर सांस्कृतिक पहचान और राजनीतिक ध्रुवीकरण का हिस्सा बनते रहे हैं. बीजेपी इस मुद्दे को जनता की भावनाओं से जोड़कर अपने हिंदुत्व एजेंडे को मजबूती देने की कोशिश कर सकती है, जबकि जेडीयू इसका विरोध करता रहा है. पहले भी बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदलने पर तर्क दिया था कि भाजपा के नेताओं को इतिहास की जानकारी नहीं है. बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बख्तियार खिलजी के नाम पर नहीं है.