G20 समिट में इकोनॉमिक कॉरिडोर पर बनी सहमति, कितना लंबा रूट, भारत को क्या होगा फायदा?

GridArt 20230912 113212392

जी20 समिट का सफलतापूर्वक समापन हुआ। भारत की अध्यक्षता में राजधानी नई दिल्ली में संपन्न हुई इस जी20 समिट में कई उपलब्धियां रहीं। इनमें सबसे खास है ‘इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर’ यानी ‘आईएमईसी’। इस प्रोजेक्ट में भारत सहित कई मिडिल ईस्ट के देश और यूरोपीयन यूनियन के देशों को फायदा मिलेगा। भारत की इस पहल को सऊदी अरब और यूरोपीय देशों ने काफी सराहा है। इस कॉरिडोर से भारत को क्या फायदा होगा? कितना लंबा कॉरिडोर होगा, समुद्री मार्ग कितना लंबा होगा? यहां जानिए इस अहम कॉरिडोर के बारे में सबकुछ।

जी20 समिट 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस समिट की सबसे खास बात रही कि इसमें सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच एक मेगा कॉरिडोर बनाने का निर्णय लिया गया है। इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट के तहत यूरोप और भारत को मिडिल-ईस्ट के जरिए कनेक्ट किया जाएगा। इससे पहले कि हम इस कॉरिडोर के रूट, लंबाई, भारत को मिलने वाले फायदे और चीन व पाकिस्तान की इससे होने वाली परेशानी जैसे पॉइंट्स को बताएं, पहले यह बता दें कि इस पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच में बैठक हुई। इसें पीएम मोदी और प्रिंस ने इस कॉरिडोर को लेकर अपनी अपनी बात रखी।

जानिए इकोनॉमिक कॉरिडोर पर क्या बोले पीएम मोदी और सऊदी प्रिंस सलमान?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरब के सुल्तान के साथ सोमवार बैठक की। इसमें पीएम मोदी ने क​हा कि ‘कल हमने भारत, पश्चिमी एशिया और यूरोप के बीच कॉरिडोर स्थापित करने के लिए ऐतिहासिक शुरुआत की है। इससे न केवल दोनों देश आपस में जुड़ेंगे बल्कि एशिया, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग, ऊर्जा के विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी को बल मिलेगा। वहीं प्रिंस सलमान ने पीएम मोदी के लिए कहा कि ‘मैं आपको जी20 शिखर सम्मेलन के प्रबंधन और मध्य पूर्व, भारत और यूरोप को जोड़ने वाले इकोनॉमिक कॉरिडोर सहित हासिल की गई पहलों के लिए बधाई देता हूं, जिसके लिए आवश्यक है कि हम इसे वास्तविकता में बनाने के लिए लगन से काम करें।’

यह कॉरिडोर बनेगा तो भारत को समय की कितनी होगी बचत?

इस कॉरिडोर के बनने के बाद भारत से मिडिल ईस्ट होते हुए यूरोप तक सामान के आयात निर्यात में काफी सुगमता देखने को मिलेगी। भारत से यूरोप तक यदि सामान भेजा जाएगा तो आने जाने में 40 फीसदी समय की बचत होगी। अभी भारत से किसी भी कार्गो को शिपिंग से जर्मनी यदि सामान पहुंचाना हो तो एक महीने से ज्यादा यानी करीब 36 दिन का समय लगता है। लेकिन इस इकोनॉमिक कॉरिडोर के बनने के बाद इस रूट से 14 दिन का समय कम हो जाएगा। यानी 22 दिन में ही सामान पहुंच जाएगा। इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट में भारत, यूएई, सउदी अरब, अमरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीयन यूनियन सहित कुल 8 देशों को होगा। इसका फायदा इन 8 देशों के अलावा इजरायल और जॉर्डन को भी मिलेगा।

कितना लंबा होगा यह कॉरिडोर?

यह कॉरिडोर ​मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 6 हजार किलोमीटर लंबा होगा। इसमें करीब 3 हजार 500 किलोमीटर का हिस्सा समुद्री मार्ग होगा। इस प्रस्तावित इकोनॉमिक कॉरिडोर की घोषणा के बाद प्रिंस सलमान और पीएम मोदी की बैठक के साथ ही इसे प्रोजेक्ट को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने पर ठोस चर्चा हुई है। इस इकोनॉमिक कॉरिडोर के बनने के बाद से ही भारत, मिडिल ईस्ट और यूरोप के बीच एक नया कारोबार सिस्टम बनेगा। जिसका फायदा भारत को निश्चित रूप से होगा।

Kumar Aditya: Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.
Recent Posts