गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश में आवारा कुत्ता एक बड़ी समस्या बनकर सामने आये हैं। कुत्तों के हमले की वजह से सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। हर रोज किसी ना किसी शहर से ऐसे मामले सामने आते है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोगों की राय बनती रहती है। लेकिन सच्चाई यह है कि सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों से हर कोई परेशान है। भले ही आप उन्हें रोज रोटी आदि खिलाते हों, लेकिन आपको नहीं मालूम है कि कब कौन सा कुत्ता आप पर हमला कर देगा।
पिछले दिनों वाघ बकरी समूह के कार्यकारी निदेशक पराग देसाई की उनके बोपल आवास के पास आवारा कुत्ते के हमले से हुई मौत के बाद यह मुद्दा और भी ज्यादा चर्चा में आ गया है। अब इस दुर्घटना के बाद अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने आवारा कुत्तों की आबादी रोकने को अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि एएमसी का मवेशी नियंत्रण और उपद्रव विभाग (सीसीएनडी) आवारा कुत्तों के नसबंदी अभियान का नेतृत्व कर रहा है, और यह काम 25 अक्टूबर से शुरू हो गया है।
बोपल से घुमा तक लगभग 200 आवारा कुत्तों की हुई पहचान
यह पहल तब हुई है जब एएमसी ने बोपल से घुमा तक लगभग 200 आवारा कुत्तों की पहचान की है। इसके आलोक में अब तक करीब 40 कुत्तों को नसबंदी के लिए पकड़ा जा चुका है। इस प्रयास को बढ़ावा देने के लिए, एएमसी ने इस नसबंदी अभियान में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से 8 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है। नसबंदी अभियान के ऐतिहासिक अवलोकन से बड़े पैमाने पर निवेश का पता चलता है, इसमें 2020 से 2023 तक 9.11 करोड़ रुपये की कुल लागत से 98,333 कुत्तों की नसबंदी की गई। चालू वर्ष में 10 महीने की अवधि के भीतर 25,993 कुत्तों की नसबंदी की गई, जिस पर 2.53 करोड़ रुपये का खर्च आया।
कई NGO के साथ नगर निगम ने की साझेदारी
वर्तमान में, चार गैर सरकारी संगठन इस नसबंदी मिशन के लिए एएमसी के साथ साझेदारी में हैं। एएमसी प्रत्येक कुत्ते की नसबंदी के लिए 976.50 रुपये का भुगतान करती है। 2019-20 के बाद एएमसी के अधिकार क्षेत्र के विस्तार से आवारा कुत्तों की अनुमानित आबादी लगभग 3.75 लाख हो गई है, लेकिन रिकॉर्ड बताते हैं कि अब तक केवल 1.5 लाख कुत्तों की नसबंदी की गई है। इस पहल में सक्रिय रूप से शामिल चार गैर सरकारी संगठन पीपल फॉर एनिमल्स, गोल फाउंडेशन, यश डोमेस्टिक रिसर्च सेंटर और संस्कार एजुकेशन ट्रस्ट हैं, प्रत्येक अलग-अलग शहर क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार हैं। जहां पीपल फॉर एनिमल्स उत्तर पश्चिम और पश्चिम क्षेत्र में काम करता है, वहीं गोल फाउंडेशन दक्षिण पश्चिम क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करता है। यश डोमेस्टिक रिसर्च सेंटर उत्तर और पूर्व क्षेत्र को संभालता है, और संस्कार एजुकेशन ट्रस्ट दक्षिण और मध्य क्षेत्र को कवर करता है।