एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने शनिवार को कहा कि भारतीय वायुसेना 60,000 से अधिक कलपुर्जों का निर्माण देश में ही कर रही है। वायुसेना प्रमुख नागपुर के भोंसाला मिलिट्री स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि वायु सेना मरम्मत, ओवरहाल और रखरखाव के लिए विदेशी उपकरण निर्माताओं (ओईएम) पर निर्भर नहीं रह सकती। हमें इसे घर में ही बनाना होगा।
चेन्नई तट के पास बंगाल की खाड़ी में भारतीय वायु सेना के एक परिवहन विमान (ट्रांसपोर्ट एयर क्राफ्ट) के मलबे का पता लगाने में लंबा समय लगने के बारे में पूछे जाने पर एयर चीफ मार्शल ने कहा, दुर्भाग्य से इसमें इतना समय लग गया लेकिन आखिरकार हमें गहरे समुद्र में खोजने की तकनीक मिल गई। अब हम गहरे समुद्र में आसानी से चीजों का पता लगा सकते हैं।
करीब साढ़े सात साल बाद मिला मलवा
गहरे समुद्र में मलबे की खोज करने में सक्षम बनाने के लिए हम महासागर और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के आभारी हैं। गौरतलब है कि 29 कर्मियों के साथ लापता विमान का मलबा करीब साढ़े सात साल बाद, बंगाल की खाड़ी में लगभग 3.4 किमी की गहराई पर पाया गया है।
बेस रिपेयर डिपो (बीआरडी) के स्वदेशीकरण के बारे में पूछे जाने पर, वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘हमारे सभी बीआरडी को सभी उद्योगों के लिए खोल दिया गया है, ताकि वे आकर देख सकें कि उद्योग कहां काम कर सकते हैं न केवल बीआरडी में बल्कि सभी वायु सेना इकाइयों में’।
उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले दो या तीन वर्षों में 60 हजार से अधिक घटकों का स्वदेशीकरण किया है। हमने महसूस किया है कि हम मरम्मत और ओवरहाल रखरखाव गतिविधियों के लिए विदेशी ओईएम पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। हमें इसे घर में ही करना होगा।’